
WMO Report: अक्सर चेतावनी दी जाती रही है कि यदि ग्लोबल वार्मिंग को कंट्रोल में नहीं लाया गया तो इसके विनाशकारी परिणाम होंगे। इसकी उपेक्षा के कारण नई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। कहा कि अगले पांच सालों में औसत वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी। इसके अलावा भारत सहित उपमहाद्वीप के कई गर्मी में भीषण सूखे की मार झेल रहे हैं। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि यह जलवायु परिवर्तन का परिणाम है। भारत के लिए यह रिपोर्ट बेहद अहम है। आइए जानते हैं।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन संयुक्त राष्ट्र का मौसम संबंधी कार्य करने वाला संगठन है। संगठन ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में ग्लोबल वार्मिंग के विनाशकारी प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है। कहा गया है कि अगले पांच सालों में दुनिया के औसत तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी। इससे गर्मी काफी हद तक बढ़ जाएगी। यह खुलासा पिछले 30 सालों के औसत वैश्विक तापमान पर आधारित है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले पांच सालों में 2023 और 2028 के बीच सबसे गर्म वर्षों में से एक दर्ज किया जाएगा। 2016 सबसे गर्म वर्ष रिकॉर्ड किया गया था। उस साल का वार्षिक औसत तापमान औसतन 1.28 डिग्री सेल्सियस अधिक था। 2022 में औसतन 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था। अगले पांच साल में रिकॉर्ड तापमान होगा। वहीं, दुनिया के कई देशों को इसके परिणाम भुगतने होंगे।
भारत सहित पड़ोसी देशों में गर्मी में भारी वृद्धि देखी गई है। भारत में गर्मी का औसत तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मी को जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की घटनाओं के 100 साल में एक बार होने की उम्मीद थी, लेकिन जलवायु परिवर्तन की स्थिति के तहत अब हर पांच साल में एक बार होने की संभावना है।
ग्लोबल वार्मिंग के वैसे तो कई कारण हैं। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा है कि ग्रीनहाउस गैसों और अल नीनो के कारण तापमान बढ़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अल नीनो वैश्विक औसत तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार है। अगले साल अल नीनो के कारण और अधिक गर्मी पड़ सकती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारणों में से एक कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन का बढ़ना है।
जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, सूखा, अधिक बारिश, हिमपात, जंगल में आग और तेज गर्मी होती है। अगले पांच सालों में इसके बढ़ने की संभावना है। यूरोप व चीन में हाल ही में गर्म हवाएं और पिछले साल पाकिस्तान में आई बाढ़ वार्मिंग का परिणाम है। अल नीनो के कारण उत्तरी अमेजन में कम बरसात हुई है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिका में बर्फ बहुत तेजी से पिघल रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मंग के कारण अगले 5 साल में कई देशों को ऐसे नतीजों का सामना करना पड़ सकता है।