जयपुर। राजस्थान में दस वर्ष से गुर्जरों के आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला अब इस मामले में राजपूतों और अन्य समुदायों को भी साथ लेने की तैयारी कर रहे हैं। राजपूत आरक्षण मंच ने हाल में सवाई माधोपुर में लगाए गए जाम में कर्नल बैंसला को सहयोग भी दिया था। कर्नल बैंसला ने आरक्षण पर फैसले के लिए वसुंधरा सरकार को 15 दिन का समय दिया है।
गुर्जरों सहित पांच पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिलाने के लिए कर्नल बैंसला अब तक अकेले आंदोलन कर रहे थे, लेकिन अब उन्होंने इस बात के संकेत दिए हैं कि वह ओबीसी में आरक्षण मांग रहे राजस्थान के राजपूत समुदाय और अन्य जातियों को भी अपने साथ जोड़ सकते हैं।
जोधपुर में मीडिया से बातचीत में बैंसला ने कहा कि सरकार ने अब तक गुर्जरों के साथ छलावा किया है। इस मामले में उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि अब आरक्षण की बात एकतरफा नहीं होगी, बल्कि उन जातियों को भी जोड़ा जाएगा, जिनका दर्द हमारे जैसा ही है। इसके लिए राजपूतों को बुलावा भेजा जा चुका है और रेबारी (देवासी) जाति के साथ मिलकर आंदोलन करने की रणनीति बनाई जा रही है।
ब्राह्मण भी बन सकते हैं आंदोलन में भागीदार-
कर्नल बैंसला ने कहा कि ब्राह्मण चाहे तों वे भी आंदोलन में भागीदार बन सकते हैं। अगड़ी जातियों से साथ मिलकर अब इस लड़ाई को अंतिम निर्णय तक ले जाया जाएगा। हम अपना हक लेकर रहेंगे। सरकार ने 15-20 दिन में कुछ ठोस कदम नहीं उठाया तो उग्र आंदोलन भी किया जाएगा।
इस दौरान कर्नल बैंसला ने मीडिया द्वारा पूछे गए तीसरे मोर्चे के सवाल पर कहा कि समय आने पर सब साफ हो जाएगा, लेकिन जो हमारी बात करेगा, हम उसका ही साथ देंगे। चाहे वह कांग्रेस हो, बीजेपी हो या फिर तीसरा मोर्चा हो। उन्होंने कहा कि सरकार आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात भी करती है तो हमें तो आरक्षण का लाभ मिलेगा ही, क्योंकि हम आर्थिक रूप से भी पिछड़े हैं।
स्थिति बहुत साफ नहीं-
राजस्थान में राजपूत भी लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर कई बार आंदोलन भी हो चुके हैं। हाल में 15 अगस्त को सवाई माधोपुर में हाईवे पर लगाए गए जाम में राजपूतों की एक संस्था "राजपूत आरक्षण मंच" के कुछ पदाधिकरियों ने कर्नल बैंसला का साथ दिया था और वह भी धरने पर बैठे थे। यही कारण है कि कर्नल बैंसला राजपूतों को साथ लेने की बात कर रहे हैं। हालांकि, इस मामले में राजपूत समाज की बड़ी संस्थाएं कुछ भी स्पष्ट तौर पर बोलने के लिए तैयार नहीं हैं।
राजपूत सभा के अध्यक्ष गिर्राज सिंह लोटवाडा ने नईदुनिया से बातचीत में कहा कि राजपूत समाज में कई संस्थाएं हैं और सभी आरक्षण के लिए प्रयास कर रही हैं, लेकिन राजपूत सभा से अभी कर्नल बैंसला की कोई बात नहीं हुई है। जब बात होगी उसके बाद ही हम तय करेंगे।
वहीं, करणी सेना के लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा कि हम हमेशा गुर्जरों की मांग का समर्थन करते आए हैं। राजपूत समाज भी आरक्षण चाहता है। समाज के लोग इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि करणी सेना भी 23 सितंबर को चित्तौड़गढ़ में देश का सबसे बड़ा क्षत्रिय सम्मेलन आयोजित कर रही है और उसमें आरक्षण के मुद्दे पर विस्तृृत चर्चा की जाएगी।