Reservation : राजस्थान सरकार ने गुर्जर समाज सहित अति पिछड़ा वर्ग में शामिल पांच जातियों के युवाओं को राज्य न्यायिक सेवा में एक प्रतिशत के स्थान पर पांच प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है। इसके लिए मंत्रिमंडल ने राजस्थान न्यायिक सेवा नियम, 2010 में संशोधन को मंजूरी दी है। अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थिंयों को इस संशोधन के जरिए राजस्थान न्यायिक सेवा में पहले से अधिक संख्या में आगे आने का मौका मिलेगा। राज्य सरकार के इस निर्णय से गुर्जरों के साथ ही रैबारी-रायका, गाड़िया लुहार, बंजारा व गड़रिया समाज के लोगों को फायदा होगा। राज्य न्यायिक सेवा में महिलाओं को 50 फीसद आरक्षण मिल रहा है। इस तरह प्रदेश में अब न्यायिक सेवा में कुल 55 प्रतिशत आरक्षण हो गया। राज्य की सभी सरकारी सेवाओं में गुर्जर सहित पांच जातियों को अति पिछड़ा वर्ग में पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।
फैसले के राजनीतिक मायने
सरकार के इस फैसले को राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सचिन पायलट के बगावत करने के बाद गुर्जरों में सरकार को लेकर नाराजगी बढ़ रही थी। इसी नाराजगी को कम करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। आने वाले दिनों में गुर्जर समाज को खुश करने के लिए कुछ और निर्णय लिए जा सकते हैं।
हो चुके हैं बड़े आंदोलन
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 से 2009 तक हुए हिसक गुर्जर आरक्षण आंदोलन में 68 लोगों की मौत हुई थी और सरकारी संपत्तियों को भी काफी नुकसान हुआ था। इसके बाद वसुंधरा सरकार ने गुर्जर समाज को अति पिछड़ा वर्ग में आरक्षण दिया था, जिस पर 2011 में हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इसके बाद फिर आंदोलन शुरू हुआ। 2019 में अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा में विधेयक पारित कराकर गुर्जर सहित पांच जातियों को अति पिछड़ा वर्ग में आरक्षण दिया। विधानसभा में एक संकल्प पारित करा कर केंद्र सरकार को भेजकर इसके संविधान की 9वीं अनुसूची में डलवाने का आग्रह किया।