अश्विन बक्शी इंदौर, नईदुनिया । सरकारी अस्पतालों में मरीज को लेकर आने वाले परिजन को भरपेट भोजन कराने के लिए 28 साल पहले शुरू की गई योजना आज भी जारी है। हलवाई सुरेशचंद राठौर ने करीब 37 की उम्र में इस सेवा की शुरुआत की थी। उनके लकवाग्रस्त होने के बाद अब उनके बेटे भूपेंद्र, नवीन और प्रवीण यह सेवा कर रहे हैं। राम रोटी योजना के नाम से हर रोज एमवाय, जिला व बीमा अस्पताल में खाना पहुंचाया जाता है।
राठौर ने इसे भोपाल, जबलपुर और नागपुर के सरकारी अस्पतालों में भी शुरू कराया है। इस पूरी कवायद में कोई सरकारी मदद नहीं है। राठौर की माता को 1990 में एमवाय अस्पताल में भर्ती किया गया था। उस समय उन्होंने मरीज के परिजन को खाने के लिए परेशान होते देखा। अगर कोई खाना बांटने आया तो ठीक नहीं तो वे लोग भूखे ही सो जाते थे।
इस परेशानी को करीब से देखने के बाद उन्होंने मरीज के परिजन को भोजन उपलब्ध कराने की सोची। अपने सहित आसपास के 10 से 15 घरों के लोगों को खाना देने के लिए तैयार किया। वे खुद रोज भोजन लेकर अस्पताल पहुंचते और गरीबों को खाना खिलाते। धीरे-धीरे इस काम में लोग जुड़ने लगे। फिलहाल शहर के पांच हजार से ज्यादा लोग हर माह खाना पहुंचा रहे हैं।
इस तरह से पहुंचाते हैं खाना शहर के तीनों अस्पतालों में रोज 150 से 180 लोगों को टिफिन से मुफ्त भोजन दिया जाता है। इस तरह एक माह में पांच हजार लोगों को भोजन कराया जा रहा है। राठौर के एक बेटे के अलावा तीन लोग रोज सुबह 10 बजे घर से दोपहिया पर निकलते हैं। विभिन्न क्षेत्रों से खाना लेने के बाद दोपहर 1 से 1.30 बजे अस्पताल पहुंचकर भोजन कराते हैं। राम रोटी संस्था के पदाधिकारी व सदस्य खाने के अलावा सहयोग भी करते हैं।
इस सहयोग राशि से खाना बांटने वालों को वेतन दिया जाता है। अन्य शहरों में भी किया शुरू राठौर आठ सालों से भोपाल के सुल्तानिया अस्पताल, नागपुर के लेडी एलेंगन व जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में भोजन सुविधा निशुल्क उपलब्ध करा रहे हैं। एक साल पहले तक वे इन शहरों में जाकर व्यवस्था कराते थे। एक साल पहले उनके लकवाग्रस्त होने के बाद वे भोपाल में बेटे के घर ही रहते हैं। उनके बेटे व इन शहरों के पदाधिकारी योजना को संचालित करते हैं। अभी तक जबलपुर में दो हजार, भोपाल में लगभग 2500 और नागपुर में 1500 लोग अस्पतालों में खाना पहुंचा रहे हैं।