बिलासपुर। चहरे की सुंदरता बढ़ाने का दावा करने वाली फेयरनेस क्रीम त्वचा की बीमारियां दे रही हैं। सिम्स में दो साल तक चले अध्ययन से पता चला कि इन क्रीम में उपयोग होने वाले केमिकल हानिकारक हैं। इनसे फंगल इन्फेक्शन, झुरिया, जलन व चेहरे पर स्थाई गड्ढे तक पड़ रहे हैं। इनका ज्यादातर शिकार 13 से 19 साल आयु वर्ग के लोग हो रहे हैं।
बाजार में बिकने वाली नामी कंपनियों की फेयरनेस क्रीम गोरा बनाने का दावा करती हैं। विज्ञापन से आकर्षित होकर बढ़ी संख्या में किशोर व युवा इसका उपयोग करने लगे हैं, जिसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। सिम्स के स्किन डिपार्टमेंट में चेहरे की समस्या को लेकर पहुंचने वाले लोगों का बारीकी से अध्ययन किया गया है।
इसमें अधिकतर युवाओं ने बताया कि वे गोरे होने के लिए किसी न किसी प्रकार की फेयरनेस क्रीम का लंबे समय से उपयोग करते आए हैं। शुरू में रंग में कुछ बदलाव का अहसास भी हुआ। इसके बाद चहरे में कई तरह की समस्या होने लगी। स्किन विभाग के एचओडी डॉ. जेपी स्वाइन ने इस पर शोध किया किया।
दो साल के भीतर फेयरनेस क्रीम के इस्तेमाल के बाद स्किन की समस्या लेकर 20 हजार से ज्यादा लोग पहुंचे। इस महत्वपूर्ण जानकारी के आधार पर फेयरनेस क्रीम के फार्मूला का अध्ययन किया गया। इसमें पता चला कि क्रीम का फार्मूला एक समय के बाद चेहरे को बीमार बना रहा है।
इनके उपयोग से हो रहा नुकसान
फेयरनेस क्रीम बनाने में क्लोबेटासोल, बेटामेटनासोन, फ्लूओसीलोन और हाइड्रोक्योनोन का उपयोग किया जाता है। इसका लगातार इस्तेमाल चेहरे के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। हाइड्रोक्योनोन को उपयोग चेहरे को गोरा बनाने के लिए होता है। यही सबसे ज्यादा हानिकारक साबित हो रहा है।
चहरे पर होने वाला असर
हाइड्रोक्योनोन - चेहरा लाल होना, स्किन कैंसर, त्वचा जलना, रूखापन, दरारें पड़ना, खून निकलना, गड्ढे प़ड़ना।
बेटामेटनासोन - खुजली, चेहरा लाल होना, रूखापन, त्वचा जलना, स्किन में खिंचाव।
क्लोबेटासोल - बड़े मुहासे होना, अनचाहे बाल, गड्ढे पड़ना।
फ्लूओसीलोन - खुजली, रूखापन, अनवांटेड हेयर।
डॉक्टर की सलाह जरूरी
डॉ. स्वाइन ने बताया कि आमतौर पर देखा जाता है कि क्रीम लगाने के बाद कोई साइड इफेक्ट होने पर लोग केमिस्ट के पास जाकर दवा या मरहम ले लेते हैं। ये दवा भी खतरनाक साबित होती है। इस तरह की परेशानी होने पर सबसे पहले डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर की परामर्श पर ही दवा व मलहम का उपयोग करना चाहिए।
ज्यादातर शिकार लड़कियां
अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि लड़कियां इस प्रकार की क्रीम का ज्यादा उपयोग कर रही हैं। 20 हजार प्रभावितों में से 70 प्रतिशत लड़कियां थीं। हालांकि अब लड़कों की संख्या भी बढ़ने लगी है।
सरकार ने भी दिए निर्देश
- डॉ. स्वाइन ने बताया कि फेयरनेस क्रीम के फार्मूले पर भारत सरकार की ओर से भी शोध कराया गया है। इसका परिणाम हाल ही में आया है। इसके बाद सरकार ने फेयरनेस क्रीम का उपयोग न करने की सलाह दी है।