-सुंदरनगर, हिमाचलप्रदेश से पवन चौहान
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में होली की शुरूआत वसंत पंचमी से ही हो जाती है। इस दिन भगवान रघुनाथ जी की पालकी को उसी अंदाज में बाहर निकाला जाता है जैसा दशहरे के अवसर पर होता है। इस दिन भगवान रघुनाथ जी का श्रृंगार देखते ही बनता है। छड़ीबरदार की अगुवाई में शाही जलेब (जुलूस) निकाली जाती है। रघुनाथ जी के साथ हनुमान जी की प्रतिमा को होली का टीका लगाया जाता है। लोग जलेब में शामिल होकर एक-दूसरे पर रंग बरसाते हैं और नाचते-गाते वसंतोत्सव के साथ होली की शुरूआत को अंजाम देते हैं।
इसमें कई लोग हनुमान का वेष धारण कर इस उत्सव को और भी आकर्षण प्रदान करते हैं। वसंतोत्सव से शुरू यह त्योहार होली के दिन तक चलता है। बाकी होली की सारी रस्में इस दिन के बाद रघुनाथ जी के मंदिर में ही निभाई जाती हैं। यह अपनेे आप में एक अनोखी और विशिष्ट परंपरा है।
होली तक कुल्लू घाटी के बहुत सारे इलाके बर्फ से लदकद रहते हैं और पर्यटकों की तादाद भी काफी होती है। इसके चलते कुछ वर्षों से यहां 'बर्फ की होली' खेलने का ट्रेंड चल पड़ा है, जो पर्यटकों के साथ यहां के लोगों को खूब भा रहा है। इसमें लोग बर्फ में रंग डालकर एक-दूसरे के ऊपर फेंककर इस पर्व को मनाते हैं, जो अपने आप में होली उत्सव का एक नया प्रयोग है।
सुजानपुर का प्रसिद्ध होली मेला
इसके अलावा हिमाचल के हमीरपुर जिले के सुजानपुर टिहरा में राष्ट्रीय स्तर का 'होली मेला" आयोजित किया जाता है जो पूरे देश में अलग पहचान बनाए हुए है। इस मेले की शुरूआत होली के कुछ दिन पहले से ही हो जाती है और होली के कुछ दिन बाद तक यह चलता रहता है। लोग खुले मैदान में एक-दूसरे पर रंग बरसाकर और नाच-गाकर इस मेले का जश्न मनाते हैं।
कई दिनों तक चलने वाले इस मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जिसमें देश भर से आए कलाकार अपनी कला का जादू बिखेरते हैं। इस मेले की शुरूआत लगभग 225 वर्ष पहले से मानी जाती है, जब कांगड़ा के राजा संसारचंद ने सुजानपुर को अपनी राजधानी बनाया था। यह मेला 2 से 3 सप्ताह तक चलता है। इस मेले की खास बात यह है कि यह हस्तशिल्प कला का एक अनूठा समागम बन जाता है।
मण्डी में माधोराव संग होली
हिमाचल में मण्डी जिले की होली भी अनूठी है। यहां लोग माधोराव (श्रीकृष्ण) के साथ होली खेलते हैं। माधोराव की जलेब निकाली जाती है जिसमें पूरे मण्डी शहर के साथ-साथ आसपास के गांवों के लोग शामिल होते हैं। पूरा नजारा देखने लायक होता है। यह आस्था और आनंद का आयोजन दिन भर चलता रहता है। मण्डी जिले में होली का मेला होली के एक दिन पहले शुरू हो जाता है और पूरे दो दिन तक चलता है।