
भोजराज उच्चसरे, भोपाल। रक्षाबंधन...स्नेह और विश्वास का बंधन...जब डोर एक बार बंध जाए... तोड़े से भी नहीं टूटती। किसी अनजान से भी नेह का बंधन अटूट हो उठता है। बात जब देश पर जान न्यौछावर कर देने वाले सैनिकों की हो तो उन्हें बांधा गया रक्षा व भावना का बंधन जीवनभर का साथ निभाने का वादा दे जाता है।
कुछ ऐसे ही देश के सैकड़ों सैनिकों को पिछले 18 सालों से सरहदों पर जाकर रक्षासूत्र में बांधने वाली मध्यप्रदेश की बैतूल जिले की निवासी युवती गौरी बालापुरे 'पदम" का जवानों से रिश्ता प्यार, मनुहार और दुलार का बन गया हैं। एक राखी बहन सैनिकों की न केवल दुलारी हैं, बल्कि उसकी देश के कोने-कोने में रहने वाले सैन्य अफसरों व जवानों से भाई-बहन के पवित्र बंधन की रिश्तेदारी भी हैं।
दरअसल, यह कहानी वहां से शुरू होती है, जब देश कारगिल युद्ध की विभीषिका से जूझ रहा था। टाइगर हिल पर कब्जा करने के लिए देश के करीब 6 सौ जवान कुर्बानी दे चुके थे। तब बैतूल के महावीर वार्ड स्थित बारस्कर कॉलोनी की निवासी महज 18 साल की युवती गौरी बालापुरे को प्रेरणा मिली कि वह देश की सीमाओं पर जाकर जवानों के साथ एक त्योहार मनाएंगी।
गौरी ने शहर की दस बेटियों के साथ बैतूल सांस्कृतिक समिति का गठन कर संकल्प लिया कि वे रक्षाबंधन का पर्व सीमा पर जाकर मनाएंगे। फिर वर्ष 1999-2000 से रक्षा पर्व मनाए जाने का सिलसिला शुरू हो गया। साल दर साल बीतते गए और अब तक 18 साल गुजर चुके हैं।
वह प्रतिवर्ष लगातार सरहद पर जाकर सैनिकों को राखी बांधने का पर्व मनाती चली आ रही है। इस बीच गौरी ने देश की चारों दिशाओं में स्थित सरहदों पर जाकर सैकड़ों जवानों को राखी बांधी। रक्षाबंधन के पर्व को सैनिकों के साथ मनाए जाने का असर यह हुआ कि गौरी का सैकड़ों जवानों से राखी बहन का पवित्र रिश्ता कायम हो चुका हैं।
रिश्ते और नेह के धागे बंधने का अब आलम यह है कि छुटि्टयों पर आने वाले सैनिक बैतूल आकर अपनी राखी बहन गौरी से मिलना नहीं चूकते। उसकी कुशलक्षेम जानते है, परिवार के साथ वक्त बिताकर और उपहार देकर लौट जाते है। यही नहीं गौरी को सरहदों से भाइयों के पत्र, मैसेज, शादी-विवाह न्योते आते रहते हैं। गौरी की भाइयों की फेहरिश्त में देश के कई बड़े सैन्य अफसर से लेकर सामान्य सैनिक तक शामिल हैं। गौरतलब है कि गौरी विवाहित होकर 38 साल की महिला है।
इस बार शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की समाधि पर जाएंगे
कई सैनिकों की राखी बहन गौरी ने बताया कि इस बार उनके साथ 30 सदस्यीय महिलाओं का दल रक्षा पर्व मनाने पंजाब के हुसैनीबाला जा रहा है। सतलुज नदी के किनारे पर यहां शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की समाधि स्थित है।
अब तक किन-किन बार्डर पर पहुंच कर बांधी सैनिकों को राखी
राष्ट्र रक्षा मिशन के तहत कारगिल युद्ध के बाद से लगातार सैनिकों को राखी बांधने का यह 18वां वर्ष है। गौरी के मुताबिक बीते वर्षों में हम श्रीगंगानगर, बाघा, हुसैनीबाला, बारामुला, सांभा, भुज, कच्छ, अगरतला, बीकानेर, जैसलमेर, जम्मू-कश्मीर, असम, मेघालय व त्रिपुरा की सीमाओं पर जा चुके है।
मिले पुरुस्कार व अवॉर्ड भी
-नेहरू युवा केंद्र का नेशनल यूथ अवॉर्ड
- राजीव गांधी समरसता स्थापना अवॉर्ड
-नेयुके का बेस्ट यूथ होने का अवॉर्ड
-टीवी चैनल का नारायणी पुरुस्कार
-लायंस क्लब भोपाल का समर्पिता
यह है बेहतर राष्ट्र रक्षा मिशन
सरहद पर तैनात सैनिकों को रक्षाबंधन के मौके पर राखी बांधना एक तरह से राष्ट्र रक्षा मिशन है। लगातार 18 वर्षों से सीमा पर जाकर सैनिकों को राष्ट्र रक्षासूत्र बांधना प्रेरणादायी है। इससे सैनिकों का मनोबल ऊंचा होता है। हमें बैतूल की बेटी गौरी पर गर्व हैं।
-केके पाण्डे रिटायर्ड डीएसपी, बैतूल