गुना(मध्यप्रदेश)। जिनके घरों में बच्चों की किलकारी नहीं गूंज रही है और वह बच्चा गोद लेना चाहते हैं, तो उन्हें पहले के मुकाबले अधिक राशि खर्च करनी पड़ेगी। दाल, प्याज और पेट्रोल-ईधन के अलावा अनाथ आश्रम से बच्चा गोद लेना भी महंगा हो गया है। सरकार ने हाल ही में अनाथ बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को थोड़ा कठिन किया है, वहीं बच्चा गोद लेने के लिए अनाथ आश्रम को दी जाने वाली डोनेशन फीस भी बढ़ा दी है।
अब तक बच्चा गोद लेने के लिए अनाथ आश्रम को 40 हजार स्र्पए डोनेशन फीस देना होती थी, सरकार ने इसे बढ़ाकर अब 65 हजार स्र्पए कर दिया है। वहीं बच्चा गोद लेने के लिए दी जाने वाली होम इंवेस्टीगेशन फीस में भी 1500 स्र्पए का इजाफा किया गया है।
जानकारों के मुताबिक सरकार ने अनाथ आश्रमों के संचालन में आ रही स्र्पयों की कमी को दूर करने यह कदम उठाया गया है। साथ ही अनाथ आश्रम को मिलने वाली डोनेशन राशि से यह अंदाजा लगाया जाता है कि बच्चा गोद लेने वाले दंपत्ती की आर्थिक स्थिति कैसी है।
तीन वर्ष होती है निगरानी
बच्चा गोद देने वाली संस्था गोद दिए गए बच्चे की तीन वर्ष तक निगरानी करती है। समय-समय पर सामाजिक कार्यकर्ता बच्चों के घर पहुंचकर जांच करते हैं। आसपड़ोस के अलावा स्कूल और अन्य स्थान पर बच्चे के संबंध में बात की जाती है।
गुना में रेडक्रास द्वारा संचालित मां स्वरूपा अनाथ आश्रम से वर्ष 2002 से अब तक 34 बच्चे गोद दिए जा चुके हैं। वर्ष 2015 में एक बच्ची दिल्ली में रहने वाले कुलदीप सिंह को प्री-एडोप्शन पर दी गई है। इस मामले में गुना हाट रोड के मनोज शर्मा ने भी आवेदन किया था, जिन्होंने अब आपत्ति दर्ज कराई है।
नहीं होना चाहिए गंभीर बीमारी
बच्चा गोद लेने के लिए दंपत्ती को कैंसर, ब्लड कैंसर, शुगर, बीपी या अन्य किसी भी गंभीर बीमारी से पीड़ित नहीं होना चाहिए। छोटे बच्चों के मामले में दंपत्ती की आयु भी बाल कल्याण समिति की गाइड लाइन के अनुसार तय है। वहीं अविवाहित, तलाकशुदा, नेत्रहीन, विकलांग, किन्न्र बच्चा गोद लेने के लिए शासन की गाइड लाइन अनुसार आवेदन कर सकते हैं। अनाथ आश्रम पहुंचने वाले लावारिश बच्चे दो महीने में लीगल फ्री होने के बाद गोद लेने की प्रोसेस में आ पाते हैं। इन दो माह इनकी केयर अनाथ आश्रम में ही की जाती है।
एक नजर में गुना का मां स्वरूपा अनाथ आश्रम
गुना के जिला अस्पताल में मां स्वरूपा अनाथ आश्रम रेडक्रास संस्था संचालित करती है। अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने होते हैं। इसके बाद आगे की प्रोसेस होगी। गुना अनाथ आश्रम के लिए अभी सात आवेदन एडवांस में हैं। लेकिन यहां एक सात वर्ष की नि:शक्त बालिका और 6 वर्ष का बालक है।
एक बालक पांच माह का है, जो फिलहाल लीगल फ्री नहीं हुआ है। यहां 198 चाइल्ड हेल्प लाइन को मिलने वाले बच्चों को भी आसरा दिया जाता है। गुना में महिला बाल विकास विभाग के महिला सशक्तिकरण अधिकारी व सामाजिक कार्यकर्ता भी बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में रेडक्रास और जिला बाल कल्याण समिति की मदद करते हैं।
बच्चा गोद लेने की यह है प्रक्रिया
1. सबसे पहले डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.एडीओपीटीआईओएनआईएनडीआईसी.एनआईसी.इन पर एप्लीकेशन करें।
2. एप्लीकेशन कंफर्म होने के बाद जिस अनाथ आश्रम से बच्चा गोद लेना है,वहां 1 हजार स्र्पए रजिस्ट्रेशन फीस और 6500 स्र्पए होम इंवेस्टीगेशन फीस जमा करें।
3. होम इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट के बाद जिले की बाल कल्याण समिति से प्री एडोपशन के लिए एप्लीकेशन करें।
4. इसके बाद कोर्ट से बच्चा गोद मिलेगा, तब अनाथ आश्रम की डोनेशन फीस 65 हजार स्र्पए जमा करना अनिवार्य है।
यह दस्तावेज हैं जरूरी
1. राशनकार्ड
2. पेनकार्ड
3. पे-स्लिप (यदि नौकरी में हो तो)
4. प्रोपर्टी के कागज
5. इनकम टेक्स रिर्टन स्लिप
6. गोद लिए जाने वाले बच्चे के नाम फिक्स डिपोजिट
7. एग्रीमेंट के लिए स्टाम्प व अन्य पेपर आदि।
बच्चा गोद लेने के लिए आश्रम में जमा होने वाली डोनेशन राशि और होम इंवेस्टीगेशन चार्ज में बढ़ोत्तरी की सूचना तो भोपाल से फोन द्वारा मिली है, लेकिन लिखित में फिलहाल कोई आदेश नहीं मिला है। अब डोनेशन राशि को 40 हजार से 65 हजार और गृह अध्ययन शुल्क 5 हजार से 6500 स्र्पए किए जाने की सूचना है। -डॉ. वायएस रघुवंशी, प्रभारी सचिव रेडक्रास व सिविल सर्जन जिला अस्पताल गुना