भोपाल (ब्यूरो, मप्र)। आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा में मरीजों का भरोसा बढ़ा है। एलोपैथी में इलाज कराने वाले मरीज भी पंचकर्म के लिए पहुंच रहे हैं। मध्यप्रदेश में भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद कॉलेज में पंचकर्म के लिए 2 महीने की वेटिंग है।
यह हाल करीब छह महीने से है। शहर में आयुर्वेद के अन्य अस्पतालों में पंचकर्म की सुविधा नहीं होने से यह दिक्कत आ रही है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला ने बताया कि पिछले तीन साल से पंचकर्म में सालाना 20 फीसदी मरीज बढ़ रहे हैं।
हर दिन करीब 150 मरीजों का पंचकर्म किया जा रहा है। इसके बाद भी 120 मरीज वेटिंग में हैं। हर दिन 10-12 नए मरीज आ जाते हैं, जिससे वेटिंग जस की तस है। वेटिंग के मरीजों का नंबर आने में करीब 2 महीने लग जाएंगे।
क्या होता है पंचकर्म
खुशीलाल आयुर्वेद अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नितिन मारवाह ने बताया कि पंचकर्म शरीर के भीतर से जहरीली व नुकसानदेह चीजें बाहर निकालने का इलाज है। इसमें मरीजों को उल्टी कराने के लिए काढ़ा पिलाया जाता है। कुछ बीमारियों में शिरोधारा की जाती है। काढ़ा व तेल अस्पताल में ही बनाए जाते हैं। कुछ तेल बाजार से खरीदने होते हैं। डॉ. मारवाह ने बताया कि हर महीने 200 लीटर तेल की खपत हो रही है।
इन बीमारियों में फायदेमंद
लकवा, माइग्रेन, पीठ का दर्द
इतना आता है खर्च
शिवाजी नगर स्थित आयुर्वेद अस्पताल और पंचशील नगर डिस्पेंसरी में भी पंचकर्म की सुविधा है। अस्पताल में पंचकर्म के लिए एक दिन का शुल्क 10 से 60 रुपए तक है। यह अलग-अलग बीमारी के लिए है। यानी एक मरीज का ज्यादा से ज्यादा 1000 रुपए खर्च होता है। जबकि शहर के निजी केंद्रों, स्पा सेंटरों और होटलों में पंचकर्म के लिए पैकेज बनाए गए हैं। यहां कम से कम एक पैकेज 15,000 रुपए का होता है। हर दिन 400 से 1000 रुपए तक लिए जाते हैं।
18 लाख रुपए सेबनेगा नया सेटअप
डॉ. शुक्ला ने बताया कि पंचकर्म के लिए 16 टेबलें लगाई गई हैं, लेकिन जरूरत के लिहाज से ये कम हैं। उन्होंने बताया कि पंचकर्म में सुविधाएं बढ़ाने के लिए शासन से 18 लाख रुपए मिले हैं। इससे 5 टेबल और बढ़ाई जा सकेंगी।