आरती मंडलोई, इंदौर। इतिहास के पन्नों पर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता से लेकर अकबर के नौ रत्नों की कहानियां तक मिल जाएंगी, पर अहिल्याबाई की शौर्यगाथा नहीं, इसी तरह एन्वायर्नमेंट की बुक में थ्योरीटिकल नॉलेज तो है, पर इंदौर का पर्यावरण कैसा है बच्चाें को इसकी जानकारी नहीं।
ताजमहल और लालकिले की संरचना पता है पर राजबाड़ा और लालबाग की नहीं। कोर्स की किताबों के साथ बच्चों को लोकल नॉलेज देने के लिए शहर के सीबीएसई स्कूल अब एनसीईआरटी की गाइडलाइन फॉलो करते हुए ऑडियो-वीडियो, नोट्स या फील्ड विजिट के जरिए बच्चों को कोर्स की किताबों से बाहर मौजूद लोकल और प्रैक्टिकल नॉलेज दे रहे हैं।
इस तरह है संभव
सीबीएसई सिर्फ एग्जामिनिंग बॉडी है, जिसका काम आठवी कक्षा के बाद परीक्षा लेना है। जो कोर्स स्कूल में चलाया जाता है वह एनसीईआरटी द्वारा तय गाइडलाइन के अनुसार होता है। यह गाइडलाइन 'नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005" में दी गई है।
इसमें यह बताया गया है कि किस उम्र के बच्चे को क्या पढ़ाया जाना चाहिए परंतु उसे कैसे पढ़ाना है यह तय करने के लिए स्कूल स्वतंत्र हैं। इसी के तहत स्कूल हर सब्जेक्ट के साथ लोकल नॉलेज से भी बच्चों को अपडेट कर रहे हैं।
लोकल डेमोग्राफी शामिल
कोर्स में लोकल डेमोग्राफी के तहत एन्वायर्नमेंट, ज्यॉग्रफी, लैंडमार्क, हिस्ट्री, फूड, मार्केट, बिल्डिंग प्लान्स और सिटी कंस्ट्रक्शन जैसे कई बिंदुओं को कोर्स में शामिल किया जा रहा है। इसके अंतर्गत बच्चाें को स्पॉट पर ले जाकर पढ़ाई कराई जाती है। बच्चों को एजुकेशनल टिप पर राजवाड़ा, लालबाग, म्यूजियम और रालामंडल जैसी जगहों पर ले जाकर पढ़ाया जा रहा है।
इस करिकुलम में नहीं है किताबें
चोइथराम स्कूल के प्रिसिंपल राजेश अवस्थी बताते हैं कि कोर्स बुक्स का बाउंडेशन होने के कारण नॉलेज भी बंध जाता है। यही कारण है कि सीबीएसई-आई करिकुलम में किताबें नहीं दी गई हैं। बोर्ड की ओर से हर क्लास के लिए टॉपिक और रॉ स्टडी मटेरियल दिया जाता है।
बच्चों से बात करके उनकी इच्छा और जरूरत के मुताबिक टीचर्स स्टडी मटेरियल खुद तैयार करते हैं। ज्यादातर टीचर्स ऑडियो-वीडियो और प्रेजेंटेशन्स के जरिए ही क्लासरूम में पढ़ाते हैं। सीबीएसई-आई टीचर अनु आहुजा बताती हैं कि इसमें टीचिंग-लर्निंग प्रोसेस चाइल्ड सेंटर्ड और प्रोजेक्ट, सर्वे व रिसर्च बेस्ड होती है।
प्रोजेक्ट के जरिए भी लोकल नॉलेज
द मिलेनियम स्कूल की प्रिंसिपल संगीता उप्पल का कहना है कि लोकल नॉलेज देने के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट्स भी दिए जा रहे हैं- जैसे यूजिंग रिसाइकलेबल थींग्स प्रोजेक्ट के लिए बच्चों को ट्रेचिंग ग्राउंड भेजना, कंजस्ट्रेट मार्केट पर रिसर्च के लिए सराफा और सब्जीमंडी ले जाना, लोकल पेड़-पौधों की लाइफ डिटेल के लिए रालामंडल पर ट्रेकिंग, लोकल हिस्ट्री और मॉन्युमेंट की जानकारी के लिए राजबाड़ा, लालबाग पैलेस और म्यूजियम विजिट, मुगलकाल और होलकरकालीन राजव्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन करना। इससे हर विषय को लोकल टच दिया जा रहा है।