
धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में बजरंग बाण का पाठ (Bajrang Baan Path) अत्यंत प्रभावशाली और फलदायी माना गया है। यह पाठ भगवान हनुमान को समर्पित है, जो अपने संकटमोचक स्वरूप के लिए प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि सच्चे मन और श्रद्धा से बजरंग बाण का जाप करने पर हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों को बड़े से बड़े संकट से उबार लेते हैं।
कहा जाता है कि जब जीवन में समस्याएं बढ़ जाएं, शत्रुओं का भय सताने लगे या नकारात्मक शक्तियां परेशान करने लगें, तब बजरंग बाण का पाठ विशेष लाभ देता है। यह स्तोत्र हनुमान जी की वीरता, शक्ति और रक्षक स्वरूप को जाग्रत करता है।
बजरंग बाण का नियमित पाठ करने से शत्रुओं का भय समाप्त होता है और विरोधी शांत हो जाते हैं।
शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और राहु-केतु के अशुभ प्रभावों को कम करने में यह पाठ सहायक माना जाता है।
घर और मन से नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर और तंत्र-मंत्र जैसी बाधाओं का नाश होता है।
जो लोग आत्मविश्वास की कमी या भय से ग्रसित रहते हैं, उन्हें बजरंग बाण का पाठ मानसिक शक्ति और साहस प्रदान करता है।
इस पाठ के प्रभाव से शारीरिक कष्ट, रोग और मानसिक तनाव में भी कमी आती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बजरंग बाण का पाठ करते समय शुद्धता, संयम और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि इसे मंगलवार या शनिवार के दिन विधि-विधान से किया जाए, तो इसका प्रभाव और भी अधिक शुभ माना जाता है।
निश्चय प्रेम प्रतीति ते,बिनय करै सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ,सिद्ध करै हनुमान॥
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा॥
बाग उजारि सिन्धु महं बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुर पुर महं भई॥
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहुं उर अन्तर्यामी॥
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुःख करहुं निपाता॥
जय गिरिधर जय जय सुख सागर। सुर समूह समरथ भटनागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले। बैरिहिं मारू बज्र की कीले॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो॥
ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥
सत्य होउ हरि शपथ पायके। रामदूत धरु मारु धाय के॥
जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं। तुमरे बल हम डरपत नाहीं॥
पाय परौं कर जोरि मनावों। यह अवसर अब केहि गोहरावों॥
जय अंजनि कुमार बलवन्ता। शंकर सुवन धीर हनुमन्ता॥
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल काल मारीमर॥
इन्हें मारु तोहि शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
जनकसुता हरि दास कहावो। ताकी शपथ विलम्ब न लावो॥
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा॥
चरण शरण करि जोरि मनावों। यहि अवसर अब केहि गोहरावों॥
उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता॥
ॐ हं हं हांक देत कपि चञ्चल। ॐ सं सं सहम पराने खल दल॥
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो॥
यहि बजरंग बाण जेहि मारो। ताहि कहो फिर कौन उबारो॥
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की॥
यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे॥
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहे कलेशा॥
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै,सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ,सिद्ध करै हनुमान॥
प्रश्न 1. बजरंग बाण का पाठ मुख्य रूप से क्यों किया जाता है?
उत्तर - बजरंग बाण का पाठ बड़े संकट, रोग-दोष, शत्रुओं के भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 2. क्या बजरंग बाण का पाठ स्वास्थ्य समस्याओं में लाभकारी है?
उत्तर - जी हां, मान्यता है कि बजरंग बाण की पंक्तियां "औषधि खान पान तिन देहीं, रावे वैद्य रूप धरि तेहीं" का जाप करने से पुराने और गंभीर रोगों में राहत मिलती है।
प्रश्न 3. क्या इसे ग्रह दोष निवारण के लिए पढ़ा जा सकता है?
उत्तर - बिल्कुल, इस पाठ से शनि, राहु और केतु की महादशा या साढ़ेसाती के बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है।