नईदुनिया, ग्वालियर: एक जनवरी से नया साल शुरू हो जाता है। यह नया साल अंग्रेजी साल का होता है, लेकिन नए साल पर अंग्रेजी कैलेंडर नहीं, बल्कि पंचांग कैलेंडर अधिक बिकते हैं।
हिंदू वर्ष के हिसाब से तिथियाें सहित तीज त्योहार की जानकारी सटीक रूप से मिलती है। साथ ही पंचांग कैलेंडर घर में कई कामों में आता है। इसलिए पंचांग कैलेंडर की बिक्री पर असर न तो कंप्यूटर-मोबाइल युग डाला पाया है और न ही इंटरनेट।
खास बात यह है कि आज कंप्यूटर, मोबाइल और इंटरनेट मीडिया के युग में भी पंचांग कैलेंडर की बिक्री पर कोई असर नहीं है। देश में तकरीबन हर सनातनी के घर में पंचांग कैलेंडर मिलता है। साथ ही बड़े धार्मिक आयोजनों की भी जानकारी रहती है।
चूंकि वर्तमान में लोग हिंदू नव वर्ष के महीनों को जानने व तिथियों के बारे में याद कम रख पाते है। जैसे महीने में एकादशी व्रत कब का है, महा अष्टमी का व्रत कब रखना है। ये सभी जानकारी इस कैलेंडर में मिल जाती हैं।
(कारोबारी दीपक सिंघल)
पंचांग कैलेंडर एक छोटा पंचांग होता है। इसमें मुहूर्त से लेकर तिथि त्योहार, शादियों की तारीख, राशिफल, ग्रहों की स्थिति, सूर्योदय-सूर्यास्त का समय, चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय आदि सभी चीजें होती हैं।
इनके लिए लोगों को देखने के लिए कहीं और परेशान नहीं होना पड़ता और बार बार आचार्य या पंडित से पूछना नहीं पड़ता। इसलिए पंचांग कैलेंडर अधिक लोकप्रिय है और इसकी बिक्री पर असर इंटरनेट का असर नहीं पड़ा है।
हर अखबार नया साल शुरू होने पर अपने पाठकों को कैलेंडर देते हैं। अखबारों के कैलेंडरों में भी पंचाग कैलेंडर जैसी ही जानकारी रहती हैं। या दूसरे शब्दों में कहें तो अंग्रेजी व पंचांग कैलेंडर का मिलाजुला रूप रहता है। इसलिए लोग नए साल पर अखबारों के कैलेंडर का इंतजार करते हैं। हालांकि पंचांग कैलेंडर दीपावली पर बाजार में आ जाता है। तभी से इसकी बिक्री शुरू हो जाती है और मार्च के आखिर तक इसकी बिक्री जारी रहती है।
पंचांग कैलेंडर रोजाना हिसाब किताब किताब यानी दूध का हिसाब लिखने की भी सुविधा दी जाती है। अधिकतर घरों में इस कैलेंडर का उपयोग दूध व अन्य चीजों की जानकारी लिखने के लिए भी किया जाता है।