अखिलेश यादव को श्रीकृष्ण का पहला नाम नहीं बता पाए अनिरुद्धाचार्य, क्या आप जानते हैं? यहां पढ़ें प्रभु के 108 नाम
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और धर्मगुरु अनिरुद्धाचार्य के बीच एक दिलचस्प शास्त्रार्थ हुआ। श्रीकृष्ण के प्रथम नाम पर प्रश्न पूछे जाने पर अनिरुद्धाचार्य उत्तर नहीं दे पाए। इस पर अखिलेश ने हंसते हुए कहा कि अब हमारे मार्ग अलग हैं।
Publish Date: Thu, 17 Jul 2025 12:38:28 PM (IST)
Updated Date: Thu, 17 Jul 2025 12:50:04 PM (IST)
भगवान को कई नाम से पुकारा गया है। (फोटो- एआई जनरेटेड)HighLights
- अखिलेश यादव ने श्रीकृष्ण का पहला नाम पूछा।
- अनिरुद्धाचार्य स्पष्ट उत्तर नहीं दे सके।
- कन्हैया नाम बताया गया प्रथम नाम के रूप में।
धर्म डेस्क, इंदौर। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और धर्म गुरु अनिरुद्धाचार्य (Pookie Baba) के बीच सड़क पर शास्त्रार्थ हुआ। इसमें अखिलेश यादव ने अनिरुद्धाचार्य से सवाल पूछा कि जब मां यशोदा के हाथ में श्रीकृष्ण को जन्म के बाद रखा गया, तब उन्होंने पहली बार प्रभु को किस नाम से बुलाया था? उनके इस सवाल का अनिरुद्धाचार्य ठीक-ठीक उत्तर नहीं दे पाए थे।
उन्होंने जवाब दिया था कि भगवान के कई सारे नाम हैं। मां ने सबसे पहले प्रभु को कन्हैया नाम से पुकारा था। इस जवाब को सुनते ही अखिलेश यादव हस दिए। उन्होंने कहा कि बस अब हमारे और आपके रास्ते अलग-अलग हैं। अब से किसी को भी आप शूद्र कहना बंद कर दें।
हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि मां यशोदा ने श्रीकृष्ण को पहली बार किस नाम बुलाया। इसके अलावा उनके 108 नाम (Krishna 108 Names) की भी जानकारी देंगे।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां यशोदा ने पहली बार श्रीकृष्ण को देखा था, तब उनको मुंह से 'नंदलाला' (Krishna First Name) निकला था। यही उनका पहला नाम है।
भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम....
- कृष्ण
- कमलनाथ
- वासुदेव
- सनातन
- वसुदेवात्मज
- पुण्य
- लीलामानुष विग्रह
- श्रीवत्स-कौस्तुभधर
- यशोदावत्सल
- हरि
- चतुर्भुज-अत्तचक्र-ासिगदा
- शङ्खाम्बुज-युधायुध
- देवकीनन्दन
- श्रीशा
- नन्दगोप प्रियात्मज
- यमुनावेग संहारक
- बलभद्र प्रियनुज
- पूतना जीवितहर
- शकटासुर भञ्जन
- नन्दव्रज जनानन्दिन्
- सच्चिदानन्द विग्रह
- नवनीत विलिप्तांग
- नवनीतनर्तन
- मुचुकुन्द प्रसादक
- षोडशस्त्री सहस्रेश्वर
- त्रिभंगी
- मधुराकृति
- शुकवागमृताब्धीन्दु
- गोविन्द
- योगीपति
- वत्सवाटीचर
- अनन्त
- धेनुकासुर भञ्जन
- तृणीकृत तृणावर्त
- यमलार्जुन भञ्जन
- उत्तलोत्ताल भेत्रे
- तमाल-श्यामल-कृता
- गोपगोपेश्वर
- योगी
- कोटिसूर्य समप्रभ
- इलापति
- परं ज्योतिः
- यादवेन्द्र
- यदूद्वह
- वनमालिन्
- पीतवसन
- पारिजातापहारक
- गोवर्धनाचलोद्धर्ता
- गोपाल
- सर्वपालक
- अज
- निरंजन
- कामजनक
- कंजलोचन
- मधुघ्न
- मथुरानाथ
- द्वारकानायक
- बलि
- वृन्दावनान्त सञ्चारी
- तुलसीदाम भूषण
- स्यमन्तक-मणि हर्ता
- नरनारायणात्मक
- कुब्जा-कृष्णाम्बरधर
- मायी
- परमपुरुष
- मुष्टिकासुर-चाणूर मल्लयुद्ध विशारद
- संसार वैरी
- कंसारि
- मुरारि
- नारकान्तक
- अनादि ब्रह्मचारी
- कृष्णाव्यसन कर्शक
- शिशुपाल शिरश्छेत्ता
- दुर्योधन कुलान्तक
- विदुराक्रूर वरद
- विश्वरूप प्रदर्शक
- सत्यवाच्
- सत्यसंकल्प
- सत्यभामारत
- जयी
- सुभद्रापूर्वज
- विष्णु
- भीष्ममुक्तिप्रदायक
- जगद्गुरु
- जगन्नाथ
- वेणुनाद विशारद
- वृषभासुर विध्वंसक
- बाणासुर करान्तक
- युधिष्ठिर प्रतिष्ठाता
- बर्हिवर्हावतंसक
- पार्थसारथि
- अव्यक्त
- गीतामृतमहोदधि
- कालीय फणिमाणिक्य रञ्जित श्रीपदाम्बुज
- दामोदर
- यज्ञभोक्ता
- दानवेन्द्र विनाशक
- नारायण
- परब्रह्म
- पन्नगाशन वाहन
- जलक्रीड़ा समासक्त गोपीवस्त्रापहारक
- पुण्यश्लोक
- तीर्थकर
- वेदवेद्य
- दयानिधि
- सर्वभूतात्मा
- सर्वग्रह रूपी
- परात्पर