
धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का विशेष महत्व माना गया है। हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 31 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस वर्ष (2025) यह अपार शुभता और सौभाग्य लेकर आएगा।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किए गए शुभ कर्म, पूजा, दान या खरीदारी का फल कभी नष्ट नहीं होता, इसलिए इसे “अक्षय नवमी” कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। आंवला नवमी के रूप में भी प्रसिद्ध यह पर्व आंवले के पेड़ की पूजा से जुड़ा है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने आंवले के वृक्ष में वास किया था।
अक्षय नवमी के दिन दिखावे या विलासिता से जुड़ी चीजें, जैसे महंगे कपड़े या आभूषण खरीदना अशुभ होता है। इस दिन कर्ज लेकर खरीदारी से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से आर्थिक स्थिरता प्रभावित होती है। बिना कारण धन खर्च करने से भी शुभ फल घटता है।
अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने और उसका सेवन करने का विशेष महत्व है। इस दिन सात प्रकार के अनाज, गेहूं, चावल, चना, जौ, तिल, मक्का और बाजरा का दान करना अत्यंत शुभ होता है। गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।