Astro Tips: सनातन धर्म के अनुसार जब भी कोई पूजा या साधना की जाती है तो वह आसन के बिना करने निषेध माना गया है। वहीं कुछ विशेष वस्तुओं से बने आसन भाग्य पर असर डालते हैं। आसन पर बैठकर पूजा करने के कई कारण सनातन धर्म के पुराणों में वर्णित किए गए हैं। ब्रह्मांड पुराण के तंत्र सार में विविध आसनों के बारे में बताया गया है। पुराण के अनुसार जमीन को स्पर्श करते हुए बैठकर पूजा करने से कष्ट एवं मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे ही अगर कोई व्यक्ति लकड़ी या बांस की चटाई पर बैठकर पूजा करता या फिर पत्तों के आसन पर बैठकर पूजा करता है तो यह फलदायी नहीं माना गया है।
पूजन में अधिकतर लोग पद्मासन लगाकर बैठते हैं। कुछ लोग सिद्धासन लगाकर भी बैठते हैं। आप चाहे जिस भी तरह से बैठें लेकिन किस पर बैठ रहे हैं ये भी एक महत्वपूर्ण विषय है। कंबल, कुशा आदि पर बैठकर पूजा करने के पीछे विज्ञान छुपा हुआ है। पूजा या साधना के दौरान प्राप्त होने वाली ऊर्जा तेजी से शरीर में प्रवाहित होती है। यदि ये ऊर्जा तरंगे गुरुत्वाकर्षण के कारण धरती में चली जाएं तो पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इसे आप इस उदाहरण से समझें कि किसी गिलास में पानी भरें लेकिन वो गिलास नीचे से टूटा हो तो जल जमीन पर आ जाएगा। गिलास में नहीं समाएगा। इसलिए पूजन आसन पर बैठकर ही करने का विधान है। आसन हमेशा साफ-सुथरा ही प्रयोग करना चाहिए।
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