घर-परिवार में मांगलिक अवसर आने पर प्रियजनों को स्नेह निमंत्रण भेजने की परंपरा और संस्कृति है। कहा जाता है कि यह न्योता होता है जिसमें प्रेम का पुट होता है। मगर कम ही लोग जानते हैं कि निमंत्रण पत्र लिखने में शुभ समय का बहुत महत्व है। शुभ प्रसंग मंगलपूर्वक संपन्न हो इसके लिए अलग-अलग अवसरों के निमंत्रण पत्रों को लिखते हुए कुछ बातें ध्यान में रखना जरूरी हैं। आइए देखें कि किस निमंत्रण पत्र को लिखते हुए किस बात को ध्यान में रखना चाहिए।
यहां सुझाई बातों के साथ ध्यान रहे कि चौघड़िया और गणपति का ध्यान करके ही निमंत्रण पत्र लिखना चाहिए। न्योता लिखने से पहले सामर्थ्य अनुसार संकल्प भी लेना चाहिए, कार्य निर्विघ्न संपन्न होने पर संकल्प पूरा भी करना चाहिए।
चंद्रमा की स्थिति पर गौर करें
चंद्रमा मुहूर्त का आधार है इसलिए निमंत्रण पत्र लिखते हुए चंद्रमा बली होना चाहिए। शुक्ल पक्ष की दशमी से लेकर कृष्ण पक्ष की पंचमी तक चंद्रमा पूर्ण बली होता है। यह समय सर्वथाउपयुक्त माना जाता है। शुक्ल पक्ष की एकम से दशमी तक चंद्रमा मध्यम बली और कृष्ण पक्ष की पंचमी से अमावस्या तक बलहीन होता है।
वार और तिथियों का भी है महत्व
बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार निमंत्रण पत्र लेखन के लिए श्रेष्ठ हैं। इनमें भी बुधवार को द्वितीया, सप्तमी और द्वादशी हो, गुरुवार को पंचमी, दशमी या पूर्णिमा हो, शुक्रवार को तृतीया, अष्टमी तथा त्रयोदशी आती हो तो उसे अति उत्तम माना जाता है। जिस वार को कार्य प्रारंभ करें उस वार का ग्रह पाप ग्रहों से युत नहीं होना चाहिए, इसका भी ध्यान रखें। नक्षत्र की स्थिति भी देखें यदि चंद्रमा स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, अश्विनी और हस्त में हो और पंचम भाव शुभ हो तो उसे उचित माना जाता है।
जब पुत्र विवाह का अवसर हो पत्र देने के समय की लग्न कुंडली में सप्तम भाव, द्वितीय स्थान तथा इनके स्वामी और स्त्री कारण शुक्र शुभ प्रभाव में हो, पाप ग्रहों (शनि, राहु, केतु, सूर्य, मंगल) से युति दृष्टि न बने। पुत्री का विवाह हो तो सप्तम भाव, द्वितीय इनके स्वामी और गुरु (स्त्री के लिए गुरु पति होता है) शुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हो तब निमंत्रण पत्र लिखे जाना चाहिए।
गृह प्रवेश व पुत्र जन्म का निमंत्रण
चतुर्थ भाव, इसका स्वामी ग्रह और मंगल शुभ प्रभाव में हो तथा बली हो, तब गृह प्रवेश का निमंत्रण लिखना शुभदायी माना जाता है। पंचम भाव, उसके स्वामी और गुरु पाप प्रभाव में न हों। इन बातों को ध्यान में रखिए काम शुभ होगा।