Bhasma For Shiv Puja: भगवान शिव को देवों का देव कहा जाता है। उनकी महिमा अपंरपार है। भोलेनाथ जन्म और मुत्यु के बंधन से मुक्त हैं। दूसरों के दुखों को दूर करते हैं। भगवान शिवजी इतने दयालु हैं कि भक्तों की थोड़ी-सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
महादेव की जीवनशैली अन्य देवताओं की तरह नहीं है। भगवान शंकर खुद पर भस्म लगाते हैं। भस्म को किसी भी चीज का अंतिम और सर्वोच्च रूप माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया कि शिवजी को भस्म अत्यंत प्रिय है। आइए जानते हैं आखिर देवाधिदेव अपने शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं।
भस्म में मौजूद दो शब्दों में भ का अर्थ भत्सारणम् है। इसका अर्थ नष्ट करना और स्म का मतलब है पाप को नष्ट करना और भगवान का ध्यान करना। राख हमें जीवन की नश्वरता की याद दिलाती है। शिव पुराण के अनुसार, भस्म महादेव का ही एक रूप है। इसके लेप से दुखों और पापों का नाश होता है। शास्त्रों में भस्म को शुभ बताया गया है।
भगवान शंकर को भस्म अत्यंत प्रिय है। भस्म को महादेव का आभूषण माना जाता है। मान्यता है कि जो भक्त शिवजी को भस्म चढ़ाता है। उससे सभी दुखों से छुटकारा मिल जाता है। यह भी कहते हैं कि भस्म चढ़ाने से मन सांसारिक मोह-माया से मुक्त हो जाता है। केवल पुरुष ही शिवलिंग पर भस्म चढ़ा सकते हैं। महिलाओं का चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि जब देवी सती ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था। तब भगवान शिवजी उनके देह को लेकर पृथ्वी लोक में घूम रहे थे। उनकी यह दशा भगवान विष्णु से देखी नहीं गई। श्रीहरि ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर को खंडित कर दिया। उस समय महादेव ने सती के मृत शरीर की राख को अपने पूरे शरीर पर मल लिया। तब से माना जाता है कि शिव को भस्म अत्यंत प्रिय है।
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