
धर्म डेस्क। धर्म और ज्योतिष में शनि देव को कर्मों का न्याय करने वाला देवता माना जाता है। मान्यता है कि जब कुंडली में शनि कमजोर हो या व्यक्ति साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा से गुजर रहा हो, तब जीवन में आर्थिक नुकसान, मानसिक तनाव और कई तरह की बाधाएं सामने आती हैं। ऐसे समय में शनि की कृपा पाने के लिए ज्योतिष नीलम (Blue Sapphire) धारण करने की सलाह देता है, जिसे शनि देव का अत्यंत प्रिय रत्न माना गया है।
नीलम रत्न क्या है?
नीलम को बेहद प्रभावशाली रत्न माना जाता है। यह शनि देव की शक्ति का प्रतीक है और माना जाता है कि इसे पहनने वाले को स्थिरता, सफलता और मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह रत्न तेजी से प्रभाव दिखाने के लिए जाना जाता है या तो तुरंत शुभ परिणाम देता है या फिर थोड़े समय में विपरीत प्रभाव दिखा सकता है। इसलिए इसे धारण करने से पहले अनुभवी ज्योतिषी की राय लेना बेहद आवश्यक है।
नीलम पहनने के लाभ
यह रत्न भाग्य को प्रबल करता है और कम प्रयास में भी अच्छे परिणाम दिलाता है।
नौकरी, व्यापार, राजनीति, इंजीनियरिंग और कानून जैसे क्षेत्रों में सफलता बढ़ाने में सहायक माना जाता है। नीलम से मन शांत होता है, तनाव घटता है और निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होती है।
नियम और सावधानियां
नीलम शनिवार के दिन चांदी या पंचधातु की अंगूठी में मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए। वजन आमतौर पर 5 से 7 रत्ती के बीच होना चाहिए। पहनने से पहले कुंडली की जांच करवाना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह रत्न सूट न करने पर तुरंत नुकसान भी पहुंचा सकता है। नीलम को गंगाजल, दूध और शहद के मिश्रण से शुद्ध करें और ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करके धारण करें।
सही विधि और सही सलाह के साथ नीलम धारण करने पर शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में प्रगति, समृद्धि और सौभाग्य के योग बनते हैं।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। नई दुनिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।