बॉस करता है परेशान और सताती है नौकरी की चिंता, तो सुन लीजिए प्रेमानंद महाराज की ये बातें… डर हो जाएगा छूमंतर
Premanand Maharaj Ke Pravachan: एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि उसे कई बार अपनी नौकरी और भविष्य की चिंता सताती है। इस पर महाराज ने महाभारत युद्ध के दौरान भीष्म का एक किस्सा सुनाकर समझाया कि चिंता देने वाले से बड़ा ऊपर वाला है। वह सब संभाल लेगा।
Publish Date: Wed, 16 Jul 2025 02:49:38 PM (IST)
Updated Date: Wed, 16 Jul 2025 02:55:09 PM (IST)
Premanand Maharaj Ke PravachanHighLights
- वृंदावन में वास करते हैं प्रेमानंद महाराज
- हर दिन भक्तों को दिखाते हैं सही राह
- भक्तों के सवालों के देते हैं धर्म सम्मत जवाब
धर्म डेस्क, इंदौर, Premanand Maharaj। भक्त का प्रश्न सुनने के बाद प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जब ईश्वर भरोसा नहीं होता है और आप अपनी हैसियत के हिसाब से सोचते हैं, यह स्थिति पैदा होती है। बेहतर है कि अपना काम पूरी ईमानदारी और लगन से करते हैं, ईश्वर में विश्वास रखें, सब अच्छा ही अच्छा होगा।
प्रेमानंद महाराज ने सुनाया महाभारत का किस्सा
- भक्त को समझाने के लिए प्रेमानंद महाराज ने महाभारत का एक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि जब पांडवों और कौरवों का युद्ध चल रहा था, तो पांडवों के सेनापति के रूप में भीष्ण हर रोज सैकड़ों योद्धाओं का वध करते हैं।
दुर्योधन की चिंता यह थी कि भीष्म कई-कई योद्धाओं का तो वध कर रहे हैं, लेकिन किसी भी पांडव को खरोंच तक नहीं आ रही है। एक दिन युद्ध समाप्ति के बाद दुर्योधन, भीष्म के शिविर में गया।
बोला कि आप ने अब तक एक भी पांडव का वध नहीं किया। दुर्योधन की बातें सुनकर भीष्म भाव में आ गए और पांच तीर अलग निकालकर रखते हुए बोले- कल में जिंदा रहा, तो पांचों पांडवों की मृत्यु निश्चित है।
अब दोनों पक्षों में यह बात आग की तरह फैल गई कि भीष्म ने कल ही पांचों पांडवों की हत्या का प्रण लिया है। द्रौपदी ने भी सुना तो चिंता करते हुए भगवान श्रीकृष्ण के पास गईं।
कृष्ण ने द्रौपदी को एक उपाय सुझाया। द्रौपदी की दासी के वस्त्र धारण कर श्रीकृष्ण उनको लेकर भीष्म के शिविर में चल दिए। शिविर में पहुंचकर जैसे ही द्रौपदी ने भीष्म को प्रणाम किया, उन्होंने सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद दिया।
यह सुनते ही द्रौपदी ने भीष्म से कहा कि एक तरफ आप सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद देते हैं और दूसरी और पांचों पांडवों को एक ही दिन में मारने का संकल्प भी लेते हैं।
भीष्म समझ गए कि श्रीकृष्ण के अलावा यह चाल किसी और की नहीं हो सकती है। भीष्म ने कहा कि जब तुम्हारे साथ श्रीकृष्ण हैं, तो किसी भीष्म की क्या हैसियत कि किसी भी पांडव को हाथ लगा सके।इस तरह द्रौपदी को वचन देकर रवाना किया। ![naidunia_image]()
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… और पांडव भी निश्चिंत होकर सो रहे थे
इस प्रसंग के बाद श्रीकृष्ण पांडवों के शिविर में लौट आए। यहां आकर देखा कि पांचों पांडव में चैन की नींद सो रहे हैं। श्रीकृष्ण ने उनको जगाया और बताया कि किस तरह गंगापुत्र भीष्म ने पांचों को मारने का प्रण लिया था।
सुनने के बाद पांचों पांडवों ने कहा कि वो चैन की नींद सो रहे हैं, क्योंकि उनके पास श्रीकृष्ण है। उन्हें पता है कि श्रीकृष्ण ही उन्हें हर संकट से बचाएंगे।
यह किस्सा सुनाने के बाद प्रेमानंद महाराज ने भक्त से कहा कि भगवान पर भरोसा है और ईमानदारी से काम करो, इसके आगे की सब व्यवस्था वो कर देगा।