क्या पीरियड्स में महिलाएं रख सकती हैं सावन सोमवार का व्रत?
सावन सोमवार व्रत के दौरान यदि महिलाओं को पीरियड्स आ जाएं, तो वे शारीरिक स्थिति के अनुसार निर्णय लें। यदि वे स्वस्थ महसूस करती हैं, तो व्रत रख सकती हैं, लेकिन पूजा की जगह मानसिक उपासना करें। यह व्रत नामस्मरण और कथा श्रवण से भी पूर्ण माना जाता है।
Publish Date: Sun, 20 Jul 2025 11:06:17 AM (IST)
Updated Date: Sun, 20 Jul 2025 11:13:59 AM (IST)
सनातन धर्म में पवित्र सावन मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व होता है। (फाइल फोटो)HighLights
- सावन सोमवार व्रत से मिलता है वैवाहिक सुख का आशीर्वाद
- पीरियड्स में व्रत रखना स्वास्थ्य पर निर्भर करता है
- पूजा की जगह करें मानसिक साधना और नामस्मरण
धर्म डेस्क, इंदौर। सनातन धर्म में पवित्र सावन मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व होता है। इस महीने में सावन सोमवार के व्रत को लेकर महिलाओं व युवतियों के बीच काफी गहरी आस्था होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के सोमवार का व्रत रखने से कुंवारी कन्याओं की योग्य वर की मनोकामना पूरी होती है। महिलाओं का वैवाहिक जीवन सुखमय बीतता है।
अधिकांश सनातनी महिलाएं व युवतियां 16 सोमवार के व्रत भी रकती हैं। इस बीच एक सवाल उनके मन में अक्सर रहता है कि सोमवार के दिन मासिक धर्म आ जाए तो क्या करना चाहिए? इस दौरान व्रत रख सकते हैं कि नहीं? हम इन्हीं सवालों का जवाब लेकर आए हैं....
पीरियड्स में व्रत को लेकर क्या कहते हैं धर्म ग्रंथ
- पारंपरिक मान्यताओं में महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ और किचन से दूर रखते थे। दरअसल, इस दौरान महिलाओं को शारीरिक कष्ट से गुजरना पड़ता है। शरीर से लगातार खून निकलने के कारण कमजोरी भी होती है। ऐसे में उनको आराम की सख्त जरूरत होती है। यही कारण था कि उनको कामकाज से दूर रखा जाता था।
- मनुस्मृति में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को चार दिनों तक धार्मिक कार्यों से दूरी बनाने के लिए कहा गया है, लेकिन व्रत को लेकर स्पष्ट निर्देश नहीं दिए हैं। इसी तरह गृह्य सूत्रों में पीरियड्स में व्रत को लेकर सीधे कोई बात नहीं लिखी गई है।
शिवपुराण में श्रद्धा से किए गए नामस्मरण, जप, ध्यान और भक्ति को सर्वेश्रेष्ठ माना गया है। ऐसे में कोई महिला शारीरिक रूप से खुद स्वस्थ महसूस करती है, तो वह व्रत रख सकती है। बस, पूजा में सीधे शामिल होने की बजाय मानसिक पूजा, नाम-जप और भजन-कीर्तन से भगवान शिव की आराधना कर सकती हैं।
स्वामी रामसुखदास, साध्वी ऋतंभरा, आचार्य प्रदीप मिश्रा जैसे विद्वान कहते हैं कि धार्मिक नियमों का उद्देश्य शुचिता और स्वास्थ्य है। यह स्त्री का अपमान करने के लिए नहीं बनाए गए थे, इसलिए महिला पीरियड्स में भी शारीरिक रूप से ठीक है। वह मानसिक रूप से व्रत का संकल्प रखती है, तो व्रत मान्य है। पूजा की जगह अपनाएं मानसिक साधना
अगर व्रत के दौरान पीरियड्स शुरू हो जाएं, तो महिलाएं शारीरिक स्थिति के अनुसार निर्णय लें। अगर, वे पूजा के बाद पीरियड्स में आई हैं, तो व्रत मान्य होता है। ऐसे में मानसिक रूप से भगवान का ध्यान, कथा श्रवण और नामस्मरण करके व्रत को पूरा किया जा सकता है। 16 सोमवार व्रत करने वाली महिलाएं चाहें, तो अतिरिक्त सोमवार जोड़कर संकल्प पूरा कर सकती हैं।