धर्म डेस्क, इंदौर। आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। अगले चार महीने तक संसार के सभी शुभ कार्यों जैसे विवाह आदि पर विराम लग जाता है। इस बार चातुर्मास 6 जुलाई 2025 से आरंभ होकर 1 नवंबर 2025 तक चलेगा।
चातुर्मास के दौरान जरूरतमंदों, ब्राह्मणों, साधु-संतों को अन्न, वस्त्र और आवश्यक सामग्री का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। विशेष रूप से पीले वस्त्रों का दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। साधक को सम्मान व पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
इस अवधि में चने की दाल और गुड़ का भोग भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है। इन्हीं चीजों का दान करने से सुख, समृद्धि के साथ-साथ आरोग्य का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इसके अलावा जलपात्र, शहद, तुलसी का पौधा और धार्मिक ग्रंथों का दान भी अत्यंत शुभ माना गया है।
चातुर्मास भगवान विष्णु की आराधना और साधना के लिए आदर्श समय होता है। इस दौरान गाय की सेवा, विष्णु मंत्रों का जाप, रामायण व गीता का पाठ करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और पारिवारिक सुख-शांति प्राप्त होती है।
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