Daan Niyam: अपनी कमाई का इतना हिस्सा जरूर करें दान, कभी नहीं होंगे कंगाल; जानें सही नियम
Daan Punya: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर व्यक्ति को अपनी कमाई का एक निश्चित हिस्सा दान के लिए अलग करना चाहिए। शास्त्रों में इसे दशांश दान कहा गया है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
Publish Date: Wed, 03 Sep 2025 05:00:12 PM (IST)
Updated Date: Wed, 03 Sep 2025 05:06:16 PM (IST)
दान का सही नियमHighLights
- अपनी कमाई का इतना हिस्सा करें दान।
- दान-पुण्य का सही नियम और लाभ जानें।
- किसे देना चाहिए, नहीं देना चाहिए दान।
धर्म डेस्क। सनातन धर्म में दान (Daan) को पुण्य (Punya) कमाने का सबसे सरल और श्रेष्ठ मार्ग बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि दान देने से व्यक्ति के पाप कटते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
खास बात यह है कि दान करने वाला कभी निर्धन या कंगाल नहीं होता, बल्कि उसका धन-संपत्ति में और अधिक वृद्धि होती है।
कितने अंश की कमाई करनी चाहिए दान?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर व्यक्ति को अपनी कमाई का एक निश्चित हिस्सा दान के लिए अलग करना चाहिए। शास्त्रों में इसे दशांश दान कहा गया है, यानी अपनी आय का 10 प्रतिशत भाग दान करना सबसे उत्तम माना जाता है।
उदाहरण के लिए यदि आपकी मासिक आय 50,000 रुपये है, तो कम से कम 5,000 रुपये दान-पुण्य के कार्यों में लगाना चाहिए।
किसे देना चाहिए दान?
- दान केवल पैसा ही नहीं है, बल्कि अन्न, वस्त्र, शिक्षा और जरूरतमंद की सहायता करना भी दान का ही रूप है।
- गरीब और जरूरतमंद व्यक्तियों को भोजन और वस्त्र देना।
- शिक्षा के लिए असहाय बच्चों की मदद करना।
- गौ-सेवा और धार्मिक कार्यों में सहयोग देना।
- बीमार और असमर्थ लोगों की चिकित्सा में योगदान देना।
दान करने के सही नियम
शास्त्रों में दान करते समय कुछ नियम बताए गए हैं, जिन्हें मानना जरूरी है:
1. दान हमेशा निस्वार्थ भाव से करें, दिखावे या अहंकार से नहीं।
2. दान देने के बाद उसका बखान न करें।
3. दान हमेशा शुद्ध कमाई से किया जाना चाहिए, गलत तरीके से अर्जित धन का दान फल नहीं देता।
4. दान करते समय दाएं हाथ का प्रयोग करें और बाएं हाथ को गुप्त रखें।
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दान से मिलने वाले फायदे
- दान से मन को शांति और आत्मिक सुख मिलता है।
- जीवन से आर्थिक संकट और दरिद्रता दूर होती है।
- ईश्वर की कृपा बनी रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- आने वाले जन्मों के लिए भी पुण्य संचित होता है।