
धर्म डेस्क। धनतेरस (Dhanteras 2025) दीपोत्सव का पहला और अत्यंत शुभ दिन होता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, धन के देवता कुबेर और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
शास्त्रों में कहा गया है कि धनतेरस के दिन पूजा-पाठ, दीपदान और सोना-चांदी की खरीद से घर में धन, वैभव और सौभाग्य की वृद्धि होती है। इस दिन पूजा के साथ इसकी कथा (Dhanteras Katha) का पाठ करना विशेष रूप से शुभ और मंगलकारी माना गया है। आइए जानते हैं धनतेरस की यह पौराणिक कथा-
एक बार भगवान विष्णु पृथ्वी पर जाने लगे। माता लक्ष्मी ने भी साथ चलने की इच्छा जताई। भगवान विष्णु ने कहा - तुम मेरे साथ चल सकती हो, लेकिन जब तक मैं वापस न आऊं, तुम दक्षिण दिशा की ओर मत जाना।' लक्ष्मी जी ने सहमति दी।
कुछ देर बाद विष्णु जी ने उन्हें एक स्थान पर रुकने को कहा और स्वयं दक्षिण दिशा की ओर चले गए। लेकिन जिज्ञासावश लक्ष्मी जी भी उनके पीछे चल पड़ीं। रास्ते में उन्हें सरसों का सुंदर खेत दिखा, जहां से उन्होंने कुछ फूल तोड़कर अपना श्रृंगार किया। आगे उन्हें गन्ने का खेत मिला, और उन्होंने उसका रस चख लिया।
इसी दौरान भगवान विष्णु लौट आए और यह देखकर क्रोधित हो उठे। उन्होंने कहा - 'मैंने तुम्हें दक्षिण दिशा में न जाने को कहा था, लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी और एक किसान के खेत से चोरी का अपराध भी कर बैठीं। इसलिए तुम्हें अगले 12 वर्षों तक इसी गरीब किसान के घर उसकी सेवा करनी होगी।'
भगवान विष्णु यह कहकर क्षीरसागर लौट गए। लक्ष्मी जी किसान के घर में एक साधारण स्त्री के रूप में रहने लगीं। एक दिन उन्होंने किसान की पत्नी से कहा - 'तुम प्रतिदिन स्नान के बाद मेरी बनाई हुई मूर्ति की पूजा करो और फिर रसोई का कार्य करना, तुम्हें मनचाहा फल मिलेगा।'
किसान की पत्नी ने वैसा ही किया। अगले ही दिन लक्ष्मी जी की कृपा से उसके घर में अन्न और धन की कोई कमी नहीं रही। बारह वर्षों तक वह परिवार सुख-शांति और समृद्धि से रहा।
जब बारह साल पूरे हुए, भगवान विष्णु लक्ष्मी जी को लेने आए, लेकिन किसान उन्हें जाने नहीं देना चाहता था। तब भगवान विष्णु ने कहा - 'लक्ष्मी चंचल स्वभाव की हैं, वे किसी एक स्थान पर स्थायी रूप से नहीं रहतीं।' किसान के आग्रह पर लक्ष्मी जी ने वचन दिया कि 'हर वर्ष कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को, जब तुम्हारी पत्नी मेरी पूजा करेगी, मैं उस घर में निवास करूंगी।'
तब से यह परंपरा चली आ रही है कि धनतेरस के दिन जो व्यक्ति श्रद्धा और सच्चे मन से माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की पूजा करता है, उसके घर में धन, सुख और समृद्धि बनी रहती है।