धीरज गोमे, नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। उज्जैन स्थित विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर अब धार्मिक आयोजनों में वैज्ञानिक और डिजिटल व्यवस्था की ओर अग्रसर हो रहा है। आगामी नागपंचमी पर्व (29 जुलाई) को यहां पहली बार भीड़ नियंत्रण के लिए अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकों का व्यवहारिक परीक्षण किया जाएगा। यह प्रयोग सिंहस्थ-2028 की तैयारियों के तहत उठाया गया एक रणनीतिक कदम है, जिसे प्रशासन "प्रथम ट्रायल रन" के रूप में देख रहा है।
महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट वर्ष में केवल एक बार नागपंचमी पर ही खुलते हैं। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते हैं। भीड़ का यह जबरदस्त दबाव व्यवस्थाओं को चुनौती देता है। ऐसे में इस वर्ष विशेष तौर पर आईआईएससी बेंगलुरु द्वारा विकसित भीड़ विश्लेषण सॉफ्टवेयर का पायलट प्रोजेक्ट के रूप में उपयोग किया जाएगा। यह सॉफ्टवेयर सिंहस्थ-2016 में एकत्रित आंकड़ों के आधार पर उन्नत किया है।
इस ट्रायल रन को सिंहस्थ 2028 के पूर्वाभ्यास के रूप में देखा जा रहा है। सरकार ने अनुमान लगाया है कि सिंहस्थ-2028 में 14 करोड़ श्रद्धालु उज्जैन आएंगे। इसके लिए 23,321 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित है, जिसमें 400 किमी सड़क, 14 नए पुल, और 29 किमी घाट निर्माण जैसी आधारभूत संरचनाएं शामिल हैं। कुछ परियोजनाओं पर कार्य प्रारंभ भी हो चुका है।
यह तकनीकी प्रयोग सफल रहता है तो उज्जैन न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए धार्मिक आयोजनों के डिजिटल और वैज्ञानिक प्रबंधन का मॉडल बन सकता है। यह ट्रायल सिंहस्थ को दुनिया का सबसे सुव्यवस्थित धार्मिक आयोजन बनाने की दिशा में एक निर्णायक और ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है।