धर्म डेस्क। साल का दूसरा सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025 Date) 21 सितंबर, सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगने जा रहा है। हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। फिर भी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुछ सावधानियां और उपाय इस दिन करने से विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
ग्रहण समाप्त होने के बाद पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। यदि नदी उपलब्ध न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना शुभ माना जाता है। इसके बाद अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद लोगों को अन्न, गुड़, गेहूं, चावल, दाल, लाल वस्त्र या उड़द की दाल का दान करना उत्तम फल देता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। इसे दूर करने के लिए तुलसी के पत्तों का प्रयोग किया जा सकता है। भोजन को अपवित्र होने से बचाने के लिए उसमें तुलसी पत्र डालना लाभकारी माना गया है। ग्रहण समाप्त होने के बाद तुलसी पत्र का सेवन करने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
ग्रहण काल में पूजा-पाठ करने की परंपरा नहीं है, लेकिन भगवान विष्णु का ध्यान और उनके मंत्रों का जप करना विशेष फलदायी होता है। इस दौरान गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और मानसिक शांति मिलती है।