भगवान हनुमान से जड़ी कई गाथाओं के बारे में आपने पड़ा होगा। लेकिन कुछ ऐसे तथ्य भी है जिनके बारे में जानकार आपको हैरानी होगी। यहां हम ऐसी ही कुछ बातों की जानकारी दे रहे हैं जो उनके बारे में हर हनुमान भक्त जानना चाहेगा। 'ब्रह्मांडपुराण' में बताया गया है कि भगवान हनुमान के पिता केसरी है। इसके अनुसार भगवान हनुमान अपने भाईयों में सबसे बड़े थे। माता अंजनी की कोख से जन्म लेने वाले भगवान हनुमान पहले पुत्र थे।
ये भी हैं रोचक बातें-
- ‘हनुमान’ शब्द का यदि संस्कृत अर्थ निकाला जाए तो इसका मतलब होता है ऐसा व्यक्ति जिसका मुख या जबड़ा बिगड़ा हुआ हो। लेकिन, आपको बता दें कि हनुमान नाम को लेकर एक कथा प्रचलित है कि देवराज इंद्र के वज्र प्रहार की वजह से बालक हनुमान की ठुड्ढी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी, जिसके बाद उन्हें हनुमान नाम मिला। प्रचलित कथा के मुताबिक, भगवान हनुमान के जन्म के पश्चात् एक दिन इनकी माता फल लाने के लिए इन्हें आश्रम में छोड़कर चली गईं। जब शिशु हनुमान को भूख लगी तो वे उगते हुए सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने आकाश में उड़ने लगे। उनकी सहायता के लिए पवन भी बहुत तेजी से चला। उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज से नहीं जलने दिया। जिस समय हनुमान सूर्य को पकड़ने के लिए लपके, उसी समय राहु सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था।
हनुमानजी ने सूर्य के ऊपरी भाग में जब राहु का स्पर्श किया तो वह भयभीत होकर वहां से भाग गया। उसने इंद्र के पास जाकर शिकायत की, "देवराज! आपने मुझे अपनी क्षुधा शान्त करने के साधन के रूप में सूर्य और चन्द्र दिए थे। आज अमावस्या के दिन जब मैं सूर्य को ग्रस्त करने गया तब देखा कि दूसरा राहु सूर्य को पकड़ने जा रहा है।"
राहु की बात सुनकर इंद्र घबरा गए और उसे साथ लेकर सूर्य की ओर चल पड़े। राहु को देखकर हनुमानजी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे। राहु ने इंद्र को रक्षा के लिए पुकारा तो उन्होंने हनुमानजी पर वज्रायुध से प्रहार किया जिससे वे एक पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठुड्ढी टूट गई। हनुमान की यह दशा देखकर वायुदेव को क्रोध आया। उन्होंने उसी क्षण अपनी गति रोक दिया। इससे संसार की कोई भी प्राणी सांस न ले सकी और सब पीड़ा से तड़पने लगे। तब सारे सुर, असुर, यक्ष, किन्नर आदि ब्रह्मा जी की शरण में गए।
ब्रह्मा उन सबको लेकर वायुदेव के पास गए। वे मूर्च्छित हनुमान को गोद में लिए उदास बैठे थे। जब ब्रह्माजी ने उन्हें जीवित किया तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की। फिर ब्रह्माजी ने कहा कि कोई भी शस्त्र इसके अंग को हानि नहीं कर सकता। इंद्र ने कहा कि इसका शरीर वज्र से भी कठोर होगा। सूर्यदेव ने कहा कि वे उसे अपने तेज का शतांश प्रदान करेंगे तथा शास्त्र मर्मज्ञ होने का भी आशीर्वाद दिया। वरुण ने कहा मेरे पाश और जल से यह बालक सदा सुरक्षित रहेगा। यमदेव ने अवध्य और नीरोग रहने का आशीर्वाद दिया। यक्षराज कुबेर, विश्वकर्मा आदि देवों ने भी अमोघ वरदान दिए।
- महाभारत काल में पाण्डु पुत्र राजकुमार भीम अपने बल के लिए जाने जाते थे। कहते हैं वे हनुमान जी के ही भाई थे।
- हनुमान जी को ब्रह्मचारी कहा जाता है, लेकिन उनका एक पुत्र भी है, जिसका नाम मकरध्वज बताया जाता है। मकरध्वज भगवान हनुमान के पसीने से पैदा हुए थे।
- हुनमान जी के अलावा उनके पांच भाई भी थे।
- 'ब्रह्मांडपुराण' में बताया गया है कि बजरंगबली के बाद क्रमशः मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान, धृतिमान उनके भाईयों के नाम हैं।
- एक कथा के अनुसार एक बार हनुमान जी ने श्रीराम की याद में अपने पूरे शरीर पर सिंदूर भी लगाया था। यह इसलिए क्योंकि एक बार उन्होंने माता सीता को सिंदूर लगाते हुए देख लिया। जब उन्होंने सिंदूर लगाने का कारण पूछा तो सीता जी ने बताया कि यह उनका श्रीराम के प्रति प्रेम एवं सम्मान का प्रतीक है।