क्या आपको सर्दी-जुकाम से पीड़ित न होने पर भी बार-बार छींक आती है? क्या आपको धूल या किसी तरह के मसाले के तड़के के बिना भी छींक आ जाती है?
दरअसल बेवजह छींक आने का भी 'शकुन' होता है। इसके कई लाभ और कभी-कभी कई हानि भी उठानी पड़ सकती है।
'शकुन' संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका अर्थ होता है शुभ लक्षण बताने वाला। वाल्मीकि रामायण में शकुन सूचक कई घटनाओं का चित्रण किया गया है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी शकुनों को काफी महत्व दिया है।
उनके महाकाव्य श्री रामचरितमानस में शुभ-अशुभ शकुनों का कई स्थानों पर उल्लेख मिलता है। यहां कुछ विशेष शकुन दिए हैं अगर ये आपके साथ होते हैं तो आपको लाभ या हानि हो सकती है।
1. आपकी अकारण आने वाली छींक आपके लिए दुःख देने वाली हो सकती है।
2. यात्रा पर निकलते समय बाईं ओर ऊंचाई से अथवा पीठ की ओर से होने वाली छींक अत्यंत शुभ होती है।
3. जहां खड़े हैं, छींक उससे किसी ऊंचे स्थान पर होती है तो प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है, और अगर आप ऊंचाई पर हों और छींक नीचे से होती है तो निश्चय ही यह किसी खतरे का संकेत होता है।
4. यदि पीठ पीछे से कोई छींक दे तो यह कुशलता का सूचक है। बाईं ओर होने वाली छींक सभी कार्यों में सफलता दायक होती है। सामने से होने वाली छींक किसी से लड़ाई-झगड़ा कराती है तथा दाईं ओर की छींक धननाशक होती है।
5. किसी वस्तु को खरीदते समय छींक होना शुभ नहीं होता, नए मकान में प्रवेश करते समय छींक आना शुभ नहीं होता, किंतु व्यापार के आरंभ में छींक आने को शुभ माना जाता है।
6. रोगी को औषधि खिलाते समय यदि छींक आ जाए या रोगी स्वयं छींक दे तो ऐसी छींक शुभ होती है। लेकिन डॉक्टर को बुलाते समय छींक का आना हानिकारक होता है।
दूर करने का उपाय
अपशकुन सूचक छींक सुनाई देने पर उसके निवारण के लिए 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र का बैठकर 5 बार जाप करना चाहिए या थोड़ी देर रुककर और थोड़ा सा ठंडा पानी पीकर, इलायची या पान आदि खाकर अपने कार्य पर से अथवा यात्रा पर निकलना चाहिए।