धर्म डेस्क। भारत में दशहरा या विजयादशमी (Dussehra 2025) का पर्व सिर्फ उत्सव ही नहीं, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने लंका के राक्षसराज रावण का वध कर अधर्म का अंत किया था। यही नहीं, इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर देवताओं और समस्त प्रजा को भयमुक्त किया था।
हर वर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह पर्व बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग घरों में विशेष पूजा-पाठ करते हैं, शस्त्र पूजन का आयोजन होता है, और शाम को रावण दहन के माध्यम से बुराई को प्रतीकात्मक रूप से समाप्त किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व बताया गया है।
शास्त्रों में वर्णित है कि विजयादशमी के दिन किया गया दान अक्षय फल देने वाला होता है। यानी इस दिन जो भी पुण्य कार्य किया जाए, उसका फल लंबे समय तक बना रहता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि दशहरे के दिन किन वस्तुओं का दान करना शुभ माना गया है।
धार्मिक ग्रंथों में गुप्त दान को सर्वोत्तम माना गया है। विजयादशमी के दिन यदि कोई व्यक्ति किसी जरूरतमंद, गरीब अथवा ब्राह्मण को चुपचाप अन्न और वस्त्र का दान करता है, तो इससे घर की दरिद्रता दूर होती है। कहा जाता है कि इससे परिवार में स्थायी सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
भारतीय परंपरा में झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। यह न केवल घर की सफाई का साधन है बल्कि नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता को दूर करने का प्रतीक भी है। दशहरे के दिन किसी धार्मिक स्थल पर या किसी जरूरतमंद को नई झाड़ू दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और आर्थिक स्थिति में मजबूती आती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरे पर पीले वस्त्रों का दान करना विशेष फलदायी होता है। पीला रंग सौभाग्य और समृद्धि का द्योतक है। इस दिन यदि कोई व्यक्ति पीले वस्त्र अथवा पीली मिठाई का दान करता है, तो उसके जीवन में रुके हुए कार्य पूरे होते हैं। यह कारोबार और करियर में आ रही बाधाओं को दूर करने में भी सहायक माना गया है।
दशहरे पर विवाहित महिलाओं को सुहाग की सामग्री जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, काजल, मेहंदी आदि का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस दान से पारिवारिक जीवन में खुशहाली और वैवाहिक जीवन में स्थिरता आती है।
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दान हमेशा ब्राह्मणों, साधुओं, या फिर वास्तव में जरूरतमंद लोगों को ही करना चाहिए।
इस दिन धारदार वस्तुओं, नुकीली चीजों और चमड़े से बनी वस्तुओं का दान करने से बचना चाहिए क्योंकि इन्हें अशुभ माना गया है।
दान हमेशा विनम्र भाव से करना चाहिए। दान देने के बाद उसका दिखावा या घोषणा नहीं करनी चाहिए।
दान करते समय मन में अहंकार या घमंड नहीं होना चाहिए।
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