
डिजिटल डेस्क। हिंदू धर्म के 18 पुराणों में 'गरुड़ पुराण' का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण और अद्वितीय है। जहां अन्य पुराण जीवन और भक्ति की राह दिखाते हैं, वहीं गरुड़ पुराण मृत्यु के पश्चात आत्मा की यात्रा और कर्मों के आधार पर मिलने वाले दंडों के प्रति सचेत करता है। इसका मूल उद्देश्य मनुष्य को अधर्म से बचाकर नैतिकता के मार्ग पर लाना है। आइए एक नजर डालते हैं भगवान विष्णु द्वारा बताए गए वे 5 महापापों पर, जिनका परिणाम यमलोक में अत्यंत कष्टकारी होता है।
किसी अजन्मे शिशु की जान लेना या किसी बेगुनाह की हत्या करना सबसे जघन्य अपराध है। गरुड़ पुराण के अनुसार, ऐसे लोगों को 'कुम्भीपाकम' नर्क में खौलते तेल की यातनाएं सहनी पड़ती हैं।
स्त्रियों और कन्याओं का शारीरिक या मानसिक शोषण करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान है। यमलोक में ऐसे पापियों को गर्म लोहे के खंभों से बांधकर प्रताड़ित किया जाता है।
भरोसा तोड़ने वाले और किसी निर्दोष को फंसाने के लिए झूठ बोलने वाले लोग नर्क के भागी बनते हैं। वहां उन्हें विषैले जीव-जंतुओं के बीच छोड़ दिया जाता है।
जन्म देने वाले माता-पिता और ज्ञान देने वाले गुरु का अपमान करने वाले व्यक्ति को परलोक में कभी शांति नहीं मिलती। उन्हें नरक में भूख और प्यास झेलनी पड़ती है।
किसी के द्वारा भरोसे में सौंपी गई संपत्ति या धरोहर को हड़प लेना चोरी से भी बड़ा पाप माना गया है। दूसरों के हक पर नजर रखने वालों को नरक की अग्नि में तपाया जाता है।
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