
धर्म डेस्क, इंदौर। Durga Saptashati Path: चैत्र नवरात्र की शुरुआत 9 अप्रैल से हो गई है। नवरात्र के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इन दिनों भक्त व्रत करते हैं और मां अंबा का आशीर्वाद लेते हैं। नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ शुभ फल देता है। इस लेख में हम ज्योतिषाचार्य कल्पेश तिवारी से जानेंगे कि दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय में से कौन-सा किस कार्य की सिद्धि के लिए होता है।
हर प्रकार की चिंता, अड़चनों को दूर करने और मन को सही दिशा की ओर ले जाने के लिए प्रथम अध्याय का पाठ किया जाता है।
विजय प्राप्ति के लिए इस अध्याय का पाठ किया जाता है। गलत भावना से किया गया उपाय सफल नहीं होता है।
शत्रु से छुटकारा पाने के लिए इस अध्याय का पाठ करें।
शक्ति व दर्शन के लिए इस अध्याय का पाठ किया जाता है। वहीं, अपनी साधना को चेतना देने के लिए इसका पाठ किया जाता है।
चारों तरफ से परेशान हो चुके जातक जिनका कोई भी काम नहीं बन रहा है। वह इस अध्याय का पाठ करें।
राहु-केतु का कुंडली में खराब होना, जादू-टोना या भूत-प्रेत के डर रहता है तो इस अध्याय का पाठ करें।
हर मनोकामना पूर्ण करने के लिए यह अध्याय कारगर है।
मिलान व वशीकरण के लिए, हालांकि भलाई के लिए हो तो यह पाठ असरदार होता है।
गुमशुदा की तलाश, हर प्रकार की कामना और खोए हुए को वापस बुलाने के लिए इस अध्याय का पाठ करना चाहिए।
पुत्र कमना के लिए व संतान को सही रास्ते पर लाने के लिए यह अध्याय फलदायी है।
संपत्ति की प्राप्ति, व्यापार में हानि और पैसा नहीं रुकता को इस अध्याय का पाठ करें।
मान सम्मान और लाभ प्राप्ति के लिए इस अध्याय का नियमित पाठ करें।
भक्ति प्राप्ति के लिए साधना के बाद यह पाठ करें।
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