Ganesh Chaturthi 2022: आंध्रप्रदेश के चित्तुर जिले में भगवान गणेश का एक मंदिर है। इस मंदिर को पानी के देवता का मंदिर कहा जाता है। मान्यता है कि यहां गणपति की प्रतिमा धीरे-धीरे आकार में बढ़ती जा रही है। कहते हैं कि बाहुदा नदी के बीच बने इस मंदिर का जल बेहद पवित्र है। जिससे कई बीमारियां दूर हो जाती है। मान्यताओं के अनुसार यहां आने वाले भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं बप्पा की कृपा से मनोकामना भी पूरी होती है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में राजा कुलोठुन्गा चोल प्रथम ने करवाया था। फिर विजयनगर वंश के राजा ने 1336 में मंदिर को बड़ा बनाने का काम किया। इस मंदिर को कनिपक्कम नाम दिया गया है।
गणेश चतुर्थी से शुरू होता है ब्रह्मोत्सव
कनिपक्कम मंदिर में गणेश उत्सव से ब्रह्मोत्स शुरू होता है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मदेव पृथ्वी पर आए थे। तभी इस मंदिर में 20 दिन का ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान यहां रथ यात्रा निकाली जाती है।
बढ़ रही भगवान गणेश की मूर्ति
कहते हैं कि मंदिर में गणेश की मूर्ति का आकार हर दिन बढ़ता जा रहा है। कहा जाता है कि भगवान लंबोदर की एक भक्त श्री लक्ष्माम्मा ने करीब 50 साल पहले उन्हें एक कवच भेंट किया था। मूर्ति का आकार बढ़ने से अब वह कवच भगवान को नहीं पहनाया जाता।
मंदिर की कहानी
मान्यताओं के अनुसार तीन भाई थे। उनमें से एक गूंगा, दूसरा बहरा और तीसरा अंधा था। तीनों ने मिलकर जमीन खरीदी थी। जमीन पर खेती के लिए पानी की जरूरत थी। तीनों ने कुआं खोदना शुरू किया। काफी खुदाई के बाद पानी निकला। थोड़ा और खोदने पर भगवान गणेश की मूर्ति दिखाई दी। जिसके दर्शन करते ही तीनों भाई ठीक हो गए। चमत्कार देखने के लिए गांव में रहने वाले लोग इकट्ठा होने लगे। इसके बाद लोगों ने श्रीगणेश की मूर्ति तो वहीं स्थापित कर दिया।
दर्शन से खत्म हो जाते हैं पाप
मंदिर से जुड़ी एक मान्यता ये है कि यहां भगवान गणेश के दर्शन करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस मंदिर में दर्शन से जुड़ा एक नियम है। नियम है कि यहां स्थित नदी में स्नान कर ये संकल्प लेना होगा कि वह फिर कभी पाप नहीं करेगा। इसके बाद भगवान गणपति के दर्शन करने से सारे पाप दूर हो जाते हैं।
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