
धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में गृह प्रवेश का विशेष महत्व है। यह अनुष्ठान नए घर में प्रवेश का प्रतीक है। यह सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का स्वागत भी माना जाता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, गृह प्रवेश तभी फलदायी होता है, जब इसे शुभ मुहूर्त, तिथि, वार और नक्षत्र के अनुसार किया जाए। गलत समय पर गृह प्रवेश करने से जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए नियमों का पालन आवश्यक है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन गृह प्रवेश के लिए अत्यंत शुभ होते हैं। इसके अलावा माघ, फाल्गुन, वैशाख और ज्येष्ठ मास को गृह प्रवेश के लिए सर्वोत्तम माना गया है। तिथियों की बात करें तो शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी गृह प्रवेश के लिए अत्यंत शुभ होती हैं। इन दिनों किए गए प्रवेश से घर में सुख, शांति और धन की वृद्धि होती है।
वास्तु के अनुसार, मंगलवार और शनिवार को गृह प्रवेश करना अशुभ माना गया है। वहीं, चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा जैसी तिथियां भी गृह प्रवेश के लिए उपयुक्त नहीं मानी जातीं। आषाढ़, सावन, भाद्रपद, आश्विन और पौष महीने में प्रवेश से बचना चाहिए। सबसे जरूरी, राहुकाल के दौरान किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
गृह प्रवेश के दौरान मुख्य द्वार पर अशोक के पत्तों का तोरण लगाना शुभ होता है। घर में दीपक जलाएं, कपूर और धूप से वातावरण शुद्ध करें और सभी कमरों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें। नए घर में प्रवेश करते समय वास्तु पूजा अवश्य कराएं। सबसे पहले दाहिना पैर रखकर प्रवेश करें। यह समृद्धि और शुभ फल का संकेत माना गया है।