धर्म डेस्क, नई दिल्ली। लोहड़ी का पर्व देश के मुख्य पर्वों में से एक है। यह आमतौर पर सिख समुदाय का एक विशेष त्योहार है, लेकिन अब देश के बाकी हिस्सों में भी इसको धूमधाम से मनाया जाने लगा है। यह मकर संक्रांति से पहले मनाई जाती है। 13 जनवरी को आग के चारों ओर परिक्रमा कर लोहड़ी मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने विस्तार से लोहड़ी के बारे में जानकारी दी है।
लोहड़ी का त्योहार नई फसल के कटाई के दौरान बड़ी ही खुशियों से मनाया जाता है। पंजाब खेती प्रधान राज्य है। यहां के लोगों की बड़ी तादाद में खेती से ही जीविका चलती है। ऐसे में जब फसल कटने का समय आता है, तब उनके घर में खुशियां आती हैं। ऐसे में वह लोहड़ी बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं।
लोहड़ी के पर्व पर अग्नि देव की पूजा की जाती है। घर के बाहर आग जलाकर उसकी परिक्रमा की जाती है। घर और आस-पड़ोस के सभी लोग इकट्ठा होकर उनकी पूजा करते हैं। ऐसा उनका मानना है कि उनकी पूजा कर घर में खुशियां आती हैं।
लोहड़ी के पर्व पर रेवड़ी, मक्का के फूले, मेवे, गजक, मूंगफली, नारियल, गन्ना आदि चीजों का दान करना चाहिए। इनके दान करने से घर में सुख-संपन्नता आएगी। आपके घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहेगी।
लोहड़ी की पूजा करने से पहले आग जलाई जाती है। उसके बाद सभी लोग चारों तरफ उसकी परिक्रमा करते हैं। इस दौरान अग्नि देव को तिल, गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक आदि चीजें अर्पित की जाती हैं।
लोहड़ी के दिन तिल गजक, गुड़-मूंगफली की पट्टी खाना शुभ माना जाता है। तिल-गुड़ के लड्डू भी परिवार व दोस्तों के साथ खा सकते हैं। गुड़ से बनी चीजें इस दिन खाना बहुत ही शुभ होता है।
लोहड़ी के दिन अग्नि जलते समय दिशा का बहुत ही खास ध्यान रखें। पश्चिम दिशा में आग का जलाना शुभ होता है। उसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर लोहड़ी की आग के पास रख दें। अग्नि की 11 बार परिक्रमा लगाकर उसमें तिल अर्पित करें।