
धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में शादी सिर्फ दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का पवित्र बंधन माना जाता है। इस मंगल कार्य की शुरुआत शादी के कार्ड से होती है, जिसके माध्यम से शुभ अवसर पर लोगों को आमंत्रित किया जाता है।
यह कार्ड न केवल निमंत्रण का प्रतीक होता है, बल्कि शुभ शुरुआत का भी संकेत माना जाता है। इसलिए शादी का कार्ड बनवाते समय वास्तु शास्त्र के कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है।

शादी की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है। ऐसे में कई लोग अपने वेडिंग कार्ड पर भगवान गणेश की तस्वीर लगवाते हैं ताकि विवाह में कोई विघ्न न आए। हालांकि, वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा करना उचित नहीं माना गया है, क्योंकि शादी के बाद अधिकतर कार्ड या तो फेंक दिए जाते हैं या किसी पेड़ के नीचे रख दिए जाते हैं।
इस तरह भगवान गणेश की तस्वीर का अपमान होता है, जिससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके बजाय आप कार्ड के भीतर या ऊपर ‘श्री गणेशाय नमः’ या ‘शुभ मंगलम’ जैसे शुभ वाक्य लिख सकते हैं, जो समान रूप से शुभ माने जाते हैं।
आजकल यूनिक डिजाइन के चक्कर में लोग कार्ड पर दूल्हा-दुल्हन की तस्वीर लगवाने लगे हैं।
लेकिन वास्तु शास्त्र में यह अशुभ माना गया है, क्योंकि इससे नजर दोष (Evil Eye) का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में अनजाने तनाव या बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
शादी के कार्ड के रंग का चयन भी वास्तु के अनुसार होना चाहिए।
शुभ रंग - लाल, पीला, गुलाबी, केसरिया या सुनहरा रंग सबसे शुभ माने जाते हैं। ये रंग ऊर्जा, समृद्धि और मंगल कार्य का प्रतीक हैं।
इन रंगों से बचें - काला, भूरा या ग्रे रंग के कार्ड से परहेज करें। इन्हें नकारात्मकता और अशुभता का प्रतीक माना गया है।
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