धर्म डेस्क, इंदौर। सावन माह भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इस माह में भगवान शिव की भक्ति और उपासना से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस पवित्र माह में शिवजी की कथाओं और उनके अवतारों का श्रवण करना बहुत पुण्यदायक होता है।
शिवजी के कुल 19 अवतारों में से पहला और अत्यंत भयानक रूप वीरभद्र का है। यह अवतार महाक्रोध का प्रतीक था। इससे जुड़ी कथा में शिवभक्तों को धर्म, मर्यादा और श्रद्धा का संदेश भी मिलता है।
शिवजी के के ससुर व माता सती के पिता राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। उसमें जानबूझकर अपने जमाता शिव और पुत्री सती को आमंत्रित नहीं किया। सती ने शिवजी से जिद्द कर यज्ञ में जाने की अनुमति ले ली। यज्ञ स्थल पर राजा दक्ष ने सबके सामने शिवजी का अपमान कर दिया, जिसे सती सहन नहीं कर सकीं। उन्होंने यज्ञ अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए।
देवी सती की मृत्यु का समाचार सुनकर शिवजी बहुत क्रोधित हो गए। उन्होंने अपने सिर की एक जटा उखाड़ पर्वत पर पटक दी। उसी क्षण उस जटा से वीरभद्र का जन्म हुआ। वह एक महाभयंकर, प्रचंड और विनाशकारी रूप था। वीरभद्र ने दक्ष के यज्ञ स्थल को तहस-नहस कर दिया। दक्ष का सिर काट शिवजी के पास ले आए।
उसके बाद सभी देवताओं और ऋषि-मुनियों ने शिवजी से दक्ष को एक और मौका देने की प्रार्थना की। शिवजी का हृदय पसीज गया। उन्होंने दक्ष के शरीर पर बकरे का सिर जोड़कर जीवनदान दिया। वीरभद्र को उन्होंने अपने गणों में प्रमुख स्थान दिया।