
धर्म डेस्क। सनातन परंपरा में तुलसी के पौधे का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी की नियमित पूजा होती है, वहां सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। हर दिन तुलसी के समीप देसी घी का दीपक जलाने और पांच या सात बार परिक्रमा करने का विधान है। ऐसा करने से न केवल वातावरण पवित्र होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
यदि आपके घर में बिना लगाए ही तुलसी का पौधा उग आया है, तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह संकेत होता है कि घर में जल्द ही सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होने वाला है। तुलसी के उगने से परिवार में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त होता है।
जब तुलसी पर मौसम से पहले या अप्रत्याशित रूप से मंजरी (फूल) आने लगती है, तो यह भी शुभ लक्षण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी की मंजरी धन वृद्धि, व्यापार में प्रगति और नौकरी में सफलता के संकेत देती है। यह समय घर-परिवार के लिए उन्नति का प्रतीक होता है।
जहां तुलसी का हरा-भरा रहना शुभ माना जाता है, वहीं इसका मुरझाना या सूख जाना अशुभ संकेत माना गया है। मान्यता है कि सूखी तुलसी घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ा सकती है, जिससे मानसिक अशांति या आर्थिक बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
अगर घर में स्वयं तुलसी उग आए, तो उसे एक सुंदर गमले में रोप दें और रोजाना देसी घी का दीपक जलाकर उसकी पूजा करें। तुलसी पूजन से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में अन्न-धन की वृद्धि होती है।
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यदि घर में आर्थिक परेशानी बनी हुई है, तो तुलसी की जड़ को गंगाजल से शुद्ध कर पीले कपड़े में बांधें और घर के मुख्य द्वार पर लटका दें। ऐसा करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और धन लाभ के योग बनने लगते हैं।
अंत में, तुलसी केवल एक पौधा नहीं बल्कि देवी स्वरूप मानी जाती है। उसकी नियमित पूजा, सेवा और सम्मान से घर में सौभाग्य और शांति का स्थायी निवास होता है।