धर्म डेस्क। हिंदू पौराणिक ग्रंथों में कई ऐसे पात्रों का जिक्र मिलता है जिन्हें अमर माना जाता है। कुछ ने अपने तप, भक्ति और सद्कर्मों के कारण अमरत्व का वरदान पाया, तो कुछ को अपने पाप और कर्मों के चलते अमर होकर भी श्रापित जीवन जीना पड़ा।
माना जाता है कि ये पात्र आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं। आइए जानते हैं रामायण और महाभारत के उन चिरंजीवी पात्रों के बारे में, जिन्हें आशीर्वाद और श्राप के रूप में मिली अमरता।
रामायण के सबसे प्रमुख पात्र हनुमान जी को उनकी अटूट भक्ति और निष्ठा के लिए जाना जाता है। अशोक वाटिका में माता सीता से भेंट के बाद उन्होंने हनुमान जी को अमरत्व का आशीर्वाद दिया था। साथ ही भगवान श्रीराम ने भी उन्हें पृथ्वी पर रहकर धर्म की रक्षा करने का आदेश दिया।
महाभारत के रचयिता और वेदों के संकलनकर्ता वेद व्यास भी अमर माने जाते हैं। वे ऋषि पराशर और सत्यवती के पुत्र थे। कहा जाता है कि उन्हें अमरता इसलिए मिली क्योंकि वे कलियुग में धर्म और सही आचरण का ज्ञान फैलाना चाहते थे।
द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को अमरता श्राप के रूप में मिली। महाभारत युद्ध में उन्होंने क्रोधवश पांडवों के पांचों पुत्रों की हत्या कर दी। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उनके माथे की मणि छीन ली और श्राप दिया कि वे युगों-युगों तक अपने घावों के साथ पृथ्वी पर भटकते रहेंगे।
भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम को भगवान शिव ने अमरता का आशीर्वाद दिया था। उन्हें शिव का प्रिय शिष्य माना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियों से मुक्त कर दिया था और आज भी जीवित हैं।
रावण के भाई विभीषण ने धर्म का साथ देते हुए श्रीराम की शरण ली थी। उनकी निष्ठा और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान राम ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया और लंका का राज भी सौंपा।