सात समुद्र और सात द्वीप की अमिट गाथा
पृथ्वी पर सात द्वीपों तथा सात समुद्र कैसे प्रकट हुए इस रोचक प्रश्न का उत्तर श्रीमद् देवी भागवत् नाम के उप पुराण में मिलता है।
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Publish Date: Sun, 12 Apr 2015 05:22:37 PM (IST)
Updated Date: Thu, 16 Apr 2015 06:07:41 PM (IST)

पृथ्वी पर सात द्वीपों तथा सात समुद्र कैसे प्रकट हुए इस रोचक प्रश्न का उत्तर श्रीमद् देवी भागवत् नाम के उप पुराण में मिलता है। इस प्रश्न के उत्तर को एक हिंदू पौराणिक कहानी के जरिए बताया गया है।
कथा के अनुसार, राजा मनु के बड़े पुत्र का नाम प्रियव्रत था। वे एक वीर और बलशाली तपस्थी थे। एक समय जब सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए, पृथ्वी के प्रथम भाग से द्वितीय भाग में चले गए। तब पृथ्वी पर अंधाकार छा गया।
यह देखकर प्रियव्रत के मन में विचार आया कि, 'मेरे शासनकाल में पृथ्वी पर अंधकार नहीं होना चाहिए। मैं अभी अपनी तप के बल से इस समस्या का निवारण करता हूं।' प्रियव्रत अपने दिव्य रथ में बैठे और प्रकाश फैलाते हुए पृथ्वी की सात परिक्रमा की।
परिक्रमा के दौरान उनके रथ के पहियों से पूरी पृथ्वी पर सात गड्डे हो गए। वे ही सात समुद्र कहलाते हैं। उस समय परिक्रमा के बीच की जो पृथ्वी थी, वही सात द्वीपों के रूप में जानी जाती है।
इस तरह पृथ्वी पर सात द्वीप अस्तित्व में आए। उन तत्कालीन द्वीपों के नाम है जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रोंच, शाक और पुष्कर। इनके चारों और के सात समुद्र क्रमशः क्षारोद, इक्षुरसोद, सुरोद, घृतोद, क्षीरोद दधिमण्डोद और शुद्धोद के नाम से पहचाने जाते हैं।
राजा प्रियव्रत ने अपने ज्येष्ठ पुत्र आग्नीध को जम्बू, इध्यजिष्ठ को प्लक्ष, यज्ञबाहू को शाल्मली, हिरण्यरेता को कुश, धृतपृष्ठ को क्रोंच, मेधातिथि को शाक और वीतिहोत्र को पुष्कर का राज्य सौंप दिया।