मां दुर्गा का एक मंदिर ऐसा भी
मान्यता है कि यह मंदिर 12वीं सदी में बनाया गया। इस मंदिर में मां चक्रेश्वरी देवी के साथ भगवान आदिनाथ के दर्शनों का लाभ मिलता है।
By
Edited By:
Publish Date: Wed, 14 Jan 2015 04:07:09 PM (IST)
Updated Date: Fri, 23 Jan 2015 12:00:10 PM (IST)

सरहिंद शहर के चंडीगढ़ रोड पर स्थित है प्रचीन 'चक्रेश्वरी देवी का मंदिर'। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जी अधिष्ठात्री चक्रेश्वरी देवी हैं। मान्यता है कि यह मंदिर 12वीं सदी में बनाया गया। इस मंदिर में मां चक्रेश्वरी देवी के साथ भगवान आदिनाथ के दर्शनों का लाभ मिलता है।
कहते हैं कि 12वीं शताब्दी में मारवाड़ में भीषण अकाल के कारण पंजाब की ओर लोगों ने पलायन किया। जैन खंडेलवाल परिवारों का एक जत्था कांगड़ा में विराजित भगवान ऋषभ देव के दर्शनों के लिए बढ़ रहा था जो सरहिंद में एक रात्रि के लिए रुका।
अगली सुबह अधिष्ठात्री कुलदेवी की पूजन शिला वाली बैलगाड़ी आगे नहीं बढ़ी। दूसरी रात्रि भी वहीं रुकना पड़ा, तब आकाशवाणी सुनाई दी 'मेरा स्थान आ गया है। मेरा मंदिर यहीं बनवाया जाए। भक्तों ने वहीं पर मंदिर बनवाया और स्वयं भी सरहिंद एवं पंजाब के अन्य शहरों में बस गए परन्तु सरहिंद में माता चक्रेश्वरी देवी के इस स्थान पर निरंतर आते रहे।'
सैकड़ों वर्ष पहले सरहिंद में गुरु गोबिंद सिंह जी के दो पुत्रों को दीवार में चिनवाने के बाद उनके व दादी मां के पार्थिव शरीरों को अंतिम संस्कार के लिए स्वर्ण मोहरें बिछाकर भूमि प्राप्त करने वाले दीवान टोडरमल जैन का नाम भी तीर्थ भूमि सरहिंद से जुड़ा है।
तीर्थ परिसर में विशाल धर्मशाला, विश्राम घर, खुले लॉन, भोजनशाला आदि है। अपने गौरवपूर्ण व स्वर्णिम इतिहास तथा श्रद्धा का व्यापक आधार होने के कारण माता चक्रेश्वरी देवी के इस स्थान को अब अखिल भारतीय जैन तीर्थ होने का गौरव प्राप्त है।