ज्योतिष शास्त्र अद्भुत है। ज्योतिष को वेदों का नेत्र कहा गया है। काल पुरुष की कुंडली अनुसार जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत होने वाले समस्त छोटी-बड़ी घटनाओं का अवलोकन किया जाता है ज्योतिष शास्त्र में हमारा हर एक दिन कैसे बीतने वाला है यह भी राशिफल के अनुसार जाना जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि बच्चा जन्म के समय किस प्रकार से रुदन किया रुदन मात्र से जाना जा सकता है कि किस प्रकार की उसकी राशि लग्न है बिना कोई पंचांग देखें यह संकेत बता देता है कि जातक किस राशि का है लग्न का है।
ज्योतिषाचार्य पंडित देव कुमार पाठक का कहना है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धरती पर जन्म लेने वाले मनुष्य का स्वभाव और व्यक्तित्व उसके पैदा होने व उस समय रोने के तरीके से भी यहा तक बच्चे छिकने को देखा जाता फिर फलकथन किया जाता है। ग्रह दशा,कुंडली और जन्म राशि लग्न पर आधारित है जीवन अत: इस आधार पर भविष्य का आकलन किया जा सकता है। हर दिन समय का अपना महत्व और उर्जा होती है जन्म समय में बालक रोया है कि नहीं?
मिथुन,मीन,मेष,वृष, सिंह यह राशियां शब्द वाली हैं। इसके स्वामी बुध,गुरू,मंगल,शुक्र व सूर्य है। अत: इसमें वाणी की प्रधानता होती है अर्थात् इनमें जातक जन्मे तो जन्मते ही रोता है।
कन्या और कुंभ यह दो राशियां अर्द्ध शब्द वाली हैं। इसके स्वामी बुध व शनि है दोनो के ही मूल त्रिकोण राशि भी कहा गया है। इनमें बालक जन्मले तो थोड़ा अर्द्ध शब्द से रोकर बाद में चुप हो जाता है। फिर बहुत जोर से रोता है।
अब बचे कर्क,तुला,वृश्चिक,धनु,मकर राशियां शब्द रहित हैं। इस राशियों के स्वामी चंद्र,शुक्र,मंगल,गुरू व शनि होते है। इनमें जन्म लेने वाला बालक जन्म समय रोता नहीं है। कुछ समय बाद खूब रोता है।
भूमि पर जन्म
इन राशियों के लिए कहा जाता है की इनका जन्म भूमि पर हुआ मिथुन,वृष,मकर,कुंभ, वृश्चिक, मेष लग्नों में जन्म हो तो बालक का जन्म भूमि पर कहा गया है।
यह भी देखा जाता है कि बालक के जन्म समय रुदन करने न करने के विचार में चन्द्रमा का भी बल देख जाता है यदि लग्न से चन्द्रमा बली हो तो चन्द्रराशि से कहें। अन्यथा लग्न से ठीक मिलेगा। अत: यह भी जान सकते है कि कौन बली लग्न या चंद्र,उपर लग्न में जो राशि हो उसका विचार किया गया है।