कौन हैं होशी टाकायुकी? कैसे जापानी करोड़पति बिजनेस छोड़ बना भगवान शिव का भक्त
जापान के करोड़पति कारोबारी होशी टाकायुकी ने अपने व्यावसायिक जीवन को त्यागकर शिव भक्ति का मार्ग अपनाया है। अब वे बाला कुम्भा गुरुमुनि के नाम से जाने जाते हैं। एक स्वप्न से प्रेरित होकर उन्होंने मंदिर बनवाया।
Publish Date: Mon, 28 Jul 2025 09:26:10 AM (IST)
Updated Date: Mon, 28 Jul 2025 09:26:10 AM (IST)
टोक्यो के एक सफल करोड़पति कारोबारी ने छोड़ा अपना भौतिक जीवन। (फोटो- सोशल मीडिया)HighLights
- तमिलनाडु में नाड़ी ज्योतिष ने आध्यात्मिक दिशा दी।
- स्वप्न में देखा पूर्वजन्म, शिवभक्ति के लिए जीवन समर्पित।
- पुदुचेरी-उत्तराखंड में मंदिर-आश्रम निर्माण की योजना।
धर्म डेस्क, इंदौर। टोक्यो के एक सफल करोड़पति कारोबारी ने अपनी भौतिक जीवन को त्याग कर भगवान शिव की भक्ति का मार्ग अपना लिया है। जापानी मूल के होशी टाकायुकी अब बाला कुम्भा गुरुमुनि के नाम से जाने जाते हैं। इन दिनों नंगे पांव उत्तराखंड की धरती पर अध्यात्म की खोज में भटक रहे हैं। कांवड़ यात्रा में उन्होंने भक्ति भाव से भाग लिया। हजारों भक्तों को भंडारे में भोजन कराया।
करोड़ों की कंपनी छोड़ शिव भक्ति में लीन
- होशी टाकायुकी कभी जापान में ब्यूटी प्रोडक्ट्स की 15 दुकानों के नेटवर्क के मालिक थे, लेकिन बीते कुछ वर्षों में उन्होंने पूरी तरह से अपने बिजनेस से मुंह मोड़ लिया। भगवान शिव के भक्त बन गए है।
- वे 20 जापानी अनुयायियों के साथ उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा करते देखे गए। उन्होंने गंगाजल उठाकर परंपरागत रीति-रिवाजों का पालन किया। देहरादून में दो दिवसीय भंडारे का आयोजन कर हजारों कांवड़ियों को भोजन कराया।
एक स्वप्न ने बदली दिशा
- उनके आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत करीब 20 साल पहले तमिलनाडु यात्रा के दौरान हुई। वहां उन्होंने नाड़ी ज्योतिष का अनुभव किया। यह एक प्राचीन सिद्ध परंपरा है, जो ताड़पत्रों पर आधारित होती है।
- इस ज्योतिषीय पद्धति के मुताबिक टाकायुकी का पिछला जन्म हिमालय की किसी भूमि में हुआ था। वे शिव भक्ति के लिए ही जन्मे हैं। उसके बाद टोक्यो लौटने पर उन्हें एक स्वप्न आया, जिसमें उन्होंने खुद को उत्तराखंड की पहाड़ियों में देखा। यही सपना उनके जीवन की दिशा बदलने वाला बन गया।
भारत में आश्रम का सपना
- इस रहस्योद्घाटन के बाद टाकायुकी ने अपना पूरा कारोबार अपने अनुयायियों को सौंप दिया। टोक्यो के अपने घर को भगवान शिव का मंदिर बना दिया। उन्होंने एक और मंदिर बनाया है, जहां जापानी अनुयायी अब रोज पूजा करते हैं। वे मानते हैं कि उनका पूर्वजन्म उत्तराखंड की किसी पहाड़ी बस्ती में बीता था। आज भी वे अपने उस गांव की तलाश में हैं।
- पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले और जापान में कार्यरत व्यवसायी रमेश सुंद्रीयाल के मुताबिक टाकायुकी उत्तराखंड में आश्रम बनाना चाहते हैं। इसके अलावा उन्होंने पुदुचेरी में 35 एकड़ भूमि भी खरीदी है, जहां एक विशाल शिव मंदिर को बनाने की योजना पर काम हो रहा है।