धर्म डेस्क। जितिया व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और सुरक्षा के लिए रखा जाता है। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है और बेहद कठिन माना जाता है। इस साल जितिया व्रत 14 सितंबर 2025, रविवार को मनाया जा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी पूजन सामग्री, नियम और भोग के बारे में विस्तार से।
पूजन सामग्री
भगवान जीमूतवाहन की प्रतिमा
जीमूतवाहन को अर्पित करने के लिए कुश से बनी मूर्ति
पीले रंग का वस्त्र
फूल, फल, धूप, दीप और प्रसाद
तांबे के लोटे में जल
मिट्टी का दिया और बाती
ठेकुआ, पूड़ी, खीर और अन्य पारंपरिक पकवान
अक्षत, रोली और चंदन
गंगाजल
कथा की पुस्तक आदि
जितिया व्रत के नियम
नहाय-खाय (पहला दिन): व्रत की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं, पूजा करती हैं और केवल सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। परंपरानुसार इस दिन मड़ुआ की रोटी और नोनी का साग खाया जाता है।
निर्जला व्रत (दूसरा दिन): यह सबसे कठिन चरण होता है। महिलाएं 24 घंटे से अधिक समय तक बिना पानी और भोजन के रहती हैं। शाम को पूजा-अर्चना और कथा श्रवण किया जाता है।
पारण (तीसरा दिन): तीसरे दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है। इसके लिए पारंपरिक भोजन जैसे ठेकुआ, चावल और अन्य पकवान बनाए जाते हैं।
भोग और प्रसाद
जितिया व्रत में ठेकुआ का विशेष महत्व है। इसके अलावा खीर, पूड़ी और मौसमी फल प्रसाद के रूप में अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इन व्यंजनों को भोग में शामिल करने से व्रत का पूरा फल मिलता है और संतान के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
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