Jyotish Niyam: गीता में कहा गया है कि जन्म और मृत्यु निश्चित है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि मौत हर चीज का अंत नहीं है। आत्मा अनादि है, उसका कोई क्षय नहीं है। देहांत के बाद ही शरीर समाप्त हो जाता है। आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाती है। इसलिए हिंदू धर्म में मृत्यु क बाद कर्मकांड किए जाते हैं। मृतक के परिजनों को कई नियमों का पालन करना पड़ता है। मृत्यु के तुरंत बाद अंतिम संस्कार नहीं किया था। वहीं, शव को अकेला छोड़कर कोई कहीं नहीं जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो उसमें से बदबू आने लगती है। वहीं, पुराण भी कहते हैं कि उसमें बुरी आत्माएं प्रवेश कर सकती हैं। इस कारण अंतिम संस्कार तक शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता है।
मृत्यु के तुरंत बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, जब तक मृतक का शरीर पूरी तरह से शांत नहीं हो जाता, तब तक दाह संस्कार नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, मृतक के परिजन अंतिम दर्शन करना होता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत शरीर को अकेला छोड़कर जाने से दुष्ट आत्मा मृतक के शरीर में प्रवेश कर सकती है। इससे मृतक के शरीर बल्कि परिजनों को खतरा हो सकता है। वहीं, मृत शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया तेजी से फैलने लगते हैं। इसलिए मृत शरीर के पास कोई होना चाहिए, जो बैक्टीरिया को मारने के लिए अगरबत्ती जलता रहे।
डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'