धरती पर यहां हैं कल्पवृक्ष
राजस्थान के अजमेर जिले से करीब 26 किमी. दूर स्थित हैं 'मांगलियावास गांव'। यह गांव NH 8 पर ब्यावर के नजदीक है।
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Publish Date: Sat, 21 Mar 2015 12:23:39 PM (IST)
Updated Date: Fri, 27 Mar 2015 09:45:12 AM (IST)

राजस्थान के अजमेर जिले से करीब 26 किमी. दूर स्थित हैं 'मांगलियावास गांव'। यह गांव NH 8 पर ब्यावर के नजदीक है।यहां पर आज भी मौजूद है एक ऐसा वृक्ष जो आपकी इच्छा की पूर्ति कर सकता हैं। बशर्ते आप पूरी श्रद्धा और आस्था से इस वृक्ष से मांगें। यही कारण है कि यहां वर्ष भर भक्तों का तांता लगा रहता है।
कहते हैं कि यहां 800 वर्ष पहले से विलुप्त प्रजाति का वृक्ष जिसे कल्प वृक्ष लगा हुआ है। जिसकी यहां पूजा की जाती है। इस वृक्ष के कई उपनाम जैसे कल्पतरू, कल्पद्रुम, कल्पपादप हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब देवों और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तब उसमें से कामधेनु गाय के साथ-साथ कल्प वृक्ष निकला था। गौ माता को सभी प्रकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकट हुई तो उन्हें पृथ्वी पर भेज दिया गया और कल्पवृक्ष को लेकर उस समय देवताओं के राजा इन्द्र अपने इन्द्रलोक में ले गए।
मांगलियावास में दो कल्पवृक्ष हैं। यह आपस में एक दूसरे से चिपके हुए हैं। मान्यता है कि इनमें एक नर और एक मादा कल्पवृक्ष हैं। लगभग इनकी उंचाई 24 मीटर और 17 मीटर है। यहां भक्त पेड़ के तने पर मौली बांधकर अपनी मन्नत पूरी होने की कामना करते हैं।