धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन मास में शिवभक्तों की विशेष आस्था का प्रतीक Kanwar Yatra 2025 इसी माह शुरू हो रही है, जो कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तक चलेगी। यह यात्रा सिर्फ नदी से जल लाकर शिवलिंग पर अर्पित करने तक सीमित नहीं, बल्कि यह आत्मशुद्धि, त्याग और तप का मार्ग भी है।
कांवड़ यात्रा के दौरान भक्तों को भगवा वस्त्रों (why wear saffron in Kanwar Yatra) में देखा जाता है। यह रंग महज परंपरा नहीं, बल्कि गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक प्रतीक है। भगवा रंग सेवा, तपस्या, त्याग, भक्ति और साधना का प्रतिनिधित्व करता है। सनातन परंपरा में साधु-संन्यासी इसी रंग के वस्त्र धारण करते हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि यह सांसारिक मोह से मुक्ति और ईश्वर में एकाग्रता का संकेत है।
- इस दौरान शिवभक्त ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और नशा, तामसिक भोजन जैसे विकारों से दूर रहते हैं। भगवा वस्त्र उन्हें मानसिक रूप से दृढ़ और आत्मबल से भरपूर बनाए रखते हैं। यह रंग भक्ति और तप की ऊर्जा को बढ़ाने का कार्य करता है।
- कांवड़ यात्रा समूह में की जाती है, जिसमें भगवा वस्त्र (bhagwa color significance) एकजुटता का भी प्रतीक बनते हैं। यह रंग सभी यात्रियों को एक समानता और संकल्प की भावना से जोड़ता है, जिससे धार्मिक चेतना जागृत होती है।
- इस प्रकार, कांवड़ यात्रा में भगवा वस्त्र केवल परिधान नहीं बल्कि शिवभक्ति, आत्मसंयम और धार्मिक अनुशासन का जीवंत प्रतीक हैं।
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