धर्म डेस्क। सावन का महीना जल्द ही शुरू होने जा रहा है और इस दौरान कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है। इस साल 11 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो जाएगी। इस दौरान लाखों श्रद्धालु गंगा नदी का पवित्र जल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं और कांवड़ यात्रा को शिव भक्ति का सरल रूप माना जाता है। कांवड़ यात्रा भगवान भोलेनाथ के प्रति भक्ति और समर्पण दिखाने का प्रतीक मानी जाती है।
पहले के समय में सिर्फ साधु संधि कांवड़ यात्रा निकाल करते थे। मगर, जैसे समय बदला वैसे-वैसे देश के हर वर्ग, हर जाति, समुदाय के लोग इसमें शामिल होते चले गए। पहले युवा ही कांवड़ लेकर निकलते थे क्योंकि रास्ते दुर्गम होते थे और सुरक्षा की चुनौतियां भी होती थीं। मगर, धीरे-धीरे इसमें किशोर, वयस्क और बुजुर्ग भी जुड़ने लगे। अब देखने में आ रहा है कि कई जगह पर महिलाएं भी कांवड़ लेकर निकल रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या महिलाएं कांवड़ यात्राएं कर सकती हैं। या उन पर किसी प्रकार के प्रतिबंध हैं। आइए जानते हैं...
शास्त्रों एवं पुराणों में कहीं पर भी महिलाओं के कांवड़ यात्रा करने को लेकर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। मगर सामाजिक, पारिवारिक और सुरक्षात्मक दृष्टिकोण की वजह से अभी भी बहुत ज्यादा संख्या में महिलाएं कांवड़ यात्रा लेकर नहीं निकलती हैं। महिलाओं के कांवड़ न लेने के पीछे बड़ी वजह उनकी सुरक्षा और सामाजिक कारण थे। मगर, वर्तमान परिस्थितियों में विशेष व्यवस्थाओं के चलते अब महिलाएं भी समूह बनाकर कांवड़ यात्रा कर रही हैं।
1. कांवड़ यात्रा बहुत ही पवित्रता और शुद्धता के साथ की जाती है। ऐसे में यदि कोई महिला मासिक धर्म से है, तो उसे कांवड़ यात्रा नहीं करनी चाहिए।
2. इसके अलावा किसी तरीके की बीमारी होने पर या शारीरिक अक्षमता होने पर भी महिलाओं को कांवड़ यात्रा नहीं करनी चाहिए।
3. महिलाओं के लिए कांवड़ यात्रा में किसी प्रकार के अलग नियम नहीं है। उन्हें भी वही नियम मानने होते हैं, जो पुरुषों के लिए होते हैं। जैसे वो यात्रा के दौरान शुद्धता और पवित्रता का पूर्ण ख्याल रखेंगी। कांवड़ को जमीन पर नहीं रखेंगी।
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