Karwa Chauth Vrat 2025: करवा चौथ व्रत का उद्यापन कब और किस विधि से करें, जानिए सही तरीका
करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। जो महिलाएं व्रत छोड़ना चाहती हैं, वे उद्यापन विधि से इसे पूरा कर सकती हैं। इसमें 13 महिलाओं को भोजन, करवा और वस्त्र भेंट करने का विधान होता है।
Publish Date: Fri, 10 Oct 2025 11:08:54 AM (IST)
Updated Date: Fri, 10 Oct 2025 11:26:17 AM (IST)
सुहागिन महिलाओं का सबसे पावन त्योहार होता है करवा चौथ। (फाइल फोटो)HighLights
- करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
- सुहागिनें पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।
- उद्यापन हेतु 13 या 15 महिलाओं को बुलाया जाता है।
धर्म डेस्क। सुहागिन महिलाओं का सबसे पावन त्योहार करवा चौथ इस साल 10 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) को मनाया जा रहा है। यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए समर्पण, प्रेम और आस्था का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव, माता पार्वती और चंद्रदेव से अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। हालांकि कई महिलाएं उम्र या स्वास्थ्य कारणों से इस व्रत का उद्यापन भी करती हैं।
आइए जानते हैं कि करवा चौथ व्रत का उद्यापन कब और कैसे करें।
करवा चौथ व्रत उद्यापन की सामग्री
धार्मिक परंपरा के अनुसार करवा चौथ का व्रत 16 वर्षों तक किया जाता है, जिसके बाद इसे उद्यापन विधि से पूरा किया जा सकता है। इसके लिए कुछ आवश्यक सामग्री रखी जाती है....
- थाली, करवा और नारियल
- रोली, अक्षत, सिक्का
- सुपारी, चूड़ी, हल्दी
- बिंदी, काजल, कुमकुम
- पायल, बिछिया और करवा
व्रत उद्यापन की विधि
- करवा चौथ के दिन व्रत उद्यापन के लिए उन 13 या 15 सुहागिन महिलाओं को आमंत्रित करें, जिन्होंने व्रत न रखा हो।
- सबसे पहले 13 करवे तैयार करें। प्रत्येक महिला को सुपारी भेंट करें।
- भोजन परोसने से पहले भगवान गणेश, माता पार्वती और करवा माता को भोग लगाएं।
- थालियों में भोजन परोसने से पहले रोली और अक्षत छिड़कें।
- अब पूजा करें और अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा याचना करें।
- सभी महिलाओं को प्रेमपूर्वक भोजन कराएं और साड़ी, चूड़ियां, बिंदी, पायल और करवा भेंट करें।
![naidunia_image]()
कब करें व्रत का उद्यापन
करवा चौथ व्रत का उद्यापन करवा चौथ वाले दिन ही किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जब व्रत का संकल्प पूरा हो जाता है, तब उसे उद्यापन विधि से पूर्ण किया जाना आवश्यक होता है। बिना उद्यापन किए व्रत छोड़ना अशुभ माना जाता है।