ऐसा था मिस्त्र का धार्मिक जीवन
सूर्य की उपासना मिस्त्र के विभिन्न भागों में 'रे', 'ऐमन' और 'होरस' आदि नामों से होती थी।
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Publish Date: Sat, 30 Jan 2016 02:48:25 PM (IST)
Updated Date: Wed, 03 Feb 2016 09:58:02 AM (IST)

प्राचीन मिस्त्र वासियों का धार्मिक जीवन काफी समृद्ध था। उनका देव समूह विशाल और व्यापक था। वह प्राकृतिक शक्तियों को मुख्य रूप से मानते थे। उनके मुख्य देवताओं में सूर्य, चंद्र, नील नदी, पृथ्वी, पर्वत, आकाश और वायु थे। इनमें सूर्य और नील नदी का स्थान सर्वप्रथम पूज्य था।
सूर्य की उपासना मिस्त्र के विभिन्न भागों में 'रे', 'ऐमन' और 'होरस' आदि नामों से होती थी। कालांतर में सूर्य पूजा 'एमर रे' के नाम से सभी जगह एकरूप में प्रचलित हुई। इसके अलावा नील नदी, पृथ्वी और हरियाली तीनों की मिली-जुली शक्तियों का प्रतीक ओसिर(ओसाइरिस) नामक देवता का प्रमुख स्थान था। वह इंद्र के समान जल का देवता था।
उसे 'रे' देवता का पुत्र माना जाता है। उसकी पूजा इसलिए भी की जाती है क्यों कि वह जीवों की मृत्यु के बाद उनका मूल्यांकन करते हैं। उसकी पत्नी आइसिस भी एक प्रमुख देवी थीं। जोकि 'रे' देवता की सगी बहन थी। उसका पुत्र 'होरस' भी देवता के रूप में पूजा जाता था।
मिस्त्र के प्राचीन धर्म में राक्षस और दैत्य की कल्पना भी थी। 'सेत' नामक दैत्य 'ओसीरिस' का शत्रु था। 'रे' को जीवन का देवता माना जाता है। और मिस्त्र के राजा फराओ (राजाओं की उपाधि) उसके प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते थे।