जन्माष्टमी पर करें भगवान श्री कृष्ण के 108 नामों का जाप, जीवन से दूर होंगे सारे कष्ट
जन्माष्टमी पर्व 15 अगस्त 2025 को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। निशिता पूजा का शुभ मुहूर्त रात 12:04 से 12:47 बजे तक रहेगा। भरणी नक्षत्र और शुभ योगों से दिन का महत्व बढ़ेगा। भगवान श्रीकृष्ण के 108 नामों का जाप विशेष पुण्य प्रदान करेगा।
Publish Date: Fri, 15 Aug 2025 01:57:19 PM (IST)
Updated Date: Sat, 16 Aug 2025 07:13:04 AM (IST)
भगवान श्री कृष्ण के 108 नाम। (फाइल फोटो)HighLights
- जन्माष्टमी 15 अगस्त को देशभर में धूमधाम से मनाई जाएगी।
- निशिता पूजा रात 12:04 से 12:47 तक शुभ।
- मध्यरात्रि का विशेष क्षण 12 बजकर 26 मिनट पर।
धर्म डेस्क, इंदौर। भाद्रपद कृष्ण अष्टमी पर मनाया जाने वाला जन्माष्टमी पर्व इस बार 15 अगस्त 2025 को देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। श्रद्धालु आधी रात को विशेष पूजा कर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे। इस वर्ष अष्टमी तिथि 15 अगस्त रात 11:49 बजे से शुरू होकर 16 अगस्त रात 9:34 बजे समाप्त होगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार निशिता पूजा का शुभ समय 15 अगस्त रात 12:04 से 12:47 बजे तक रहेगा। मध्यरात्रि का विशेष क्षण 12:26 बजे का है। इस दिन भरणी नक्षत्र के साथ वृद्धि, ध्रुव और सर्वार्थसिद्धि योग बनेंगे, जिससे पर्व का महत्व और बढ़ जाएगा।
श्रीकृष्ण के 108 नामों का जाप
जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के 108 नामों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इन नामों के उच्चारण से दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है। श्रद्धालु ‘गोविंद’, ‘माधव’, ‘कन्हैया’, ‘गोपीनाथ’ जैसे नामों का स्मरण करते हैं। यह साधना बाल गोपाल के आशीर्वाद का मार्ग खोलती है।
जानिए भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम
- कृष्ण कृष्ण
- कमलनाथ
- वासुदेव
- सनातन
- वसुदेवात्मज
- पुण्य
- लीलामानुष विग्रह
- श्रीवत्स कौस्तुभधराय
- यशोदावत्सल
- हरि
- चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा
- सङ्खाम्बुजा युदायुजाय
- देवाकीनन्दन
- श्रीशाय
- नन्दगोप प्रियात्मज
- यमुनावेगा संहार
- बलभद्र प्रियनुज
- पूतना जीवित हर
- शकटासुर भञ्जन
- नन्दव्रज जनानन्दिन
- सच्चिदानन्दविग्रह
- नवनीत विलिप्ताङ्ग
- नवनीतनटन
- मुचुकुन्द प्रसादक
- षोडशस्त्री सहस्रेश
- त्रिभङ्गी
- मधुराकृत
- शुकवागमृताब्दीन्दवे
- गोविन्द
- योगीपति
- वत्सवाटि चराय
- अनन्त
- धेनुकासुरभञ्जनाय
- तृणी-कृत-तृणावर्ताय
- यमलार्जुन भञ्जन
- उत्तलोत्तालभेत्रे
- तमाल श्यामल कृता
- गोप गोपीश्वर
- योगी
- कोटिसूर्य समप्रभा
- इलापति
- परंज्योतिष
- यादवेंद्र
- यदूद्वहाय
- वनमालिने
- पीतवससे
- पारिजातापहारकाय
- गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे
- गोपाल
- सर्वपालकाय
- अजाय
- निरञ्जन
- कामजनक
- कञ्जलोचनाय
- मधुघ्ने
- मथुरानाथ
- द्वारकानायक
- बलि
- बृन्दावनान्त सञ्चारिणे
- तुलसीदाम भूषनाय
- स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे
- नरनारयणात्मकाय
- कुब्जा कृष्णाम्बरधराय
- मायिने
- परमपुरुष
- मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय
- संसारवैरी
- कंसारिर
- मुरारी
- नाराकान्तक
- अनादि ब्रह्मचारिक
- कृष्णाव्यसन कर्शक
- शिशुपालशिरश्छेत्त
- दुर्यॊधनकुलान्तकृत
- विदुराक्रूर वरद
- विश्वरूपप्रदर्शक
- सत्यवाचॆ
- सत्य सङ्कल्प
- सत्यभामारता
- जयी
- सुभद्रा पूर्वज
- विष्णु
- भीष्ममुक्ति प्रदायक
- जगद्गुरू
- जगन्नाथ
- वॆणुनाद विशारद
- वृषभासुर विध्वंसि
- बाणासुर करान्तकृत
- युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे
- बर्हिबर्हावतंसक
- पार्थसारथी
- अव्यक्त
- गीतामृत महोदधी
- कालीयफणिमाणिक्य रञ्जित श्रीपदाम्बुज
- दामोदर
- यज्ञभोक्त
- दानवेन्द्र विनाशक
- नारायण
- परब्रह्म
- पन्नगाशन वाहन
- जलक्रीडा समासक्त गोपीवस्त्रापहाराक
- पुण्य श्लॊक
- तीर्थकरा
- वेदवेद्या
- दयानिधि
- सर्वभूतात्मका
- सर्वग्रहरुपी
- परात्पराय