
धर्म डेस्क: हिंदू धर्म में भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा गया है। उन्हें अत्यंत करुणामय, सरल स्वभाव वाला और शीघ्र प्रसन्न होने वाला देवता माना जाता है। शिव पुराण एवं अन्य धर्मग्रंथों में शिव पूजा की विशेष विधियों और सामग्रियों का विस्तार से उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि यदि श्रद्धा और विधि-विधान से महादेव की पूजा की जाए, तो जीवन के अनेक कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव को अर्पित की जाने वाली प्रत्येक वस्तु का एक विशेष आध्यात्मिक अर्थ और फल होता है।
शिव पुराण में वर्णित है कि समुद्र मंथन के समय विषपान के बाद महादेव को शीतलता देने के लिए देवताओं ने उनके मस्तक पर जल अर्पित किया था। तभी से जल शिवजी को अत्यंत प्रिय माना गया। तांबे के पात्र से जल अर्पित करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और तनाव कम होता है।
शिवलिंग पर साबुत और स्वच्छ चावल अर्पित करने से घर में धन-धान्य और समृद्धि बनी रहती है। टूटे हुए चावल का प्रयोग वर्जित माना गया है, क्योंकि शिव पूजा में पूर्णता का विशेष महत्व है।
तीन पत्तों वाला बेलपत्र भगवान शिव की तीन आंखों और त्रिदेवों का प्रतीक माना गया है। इसे अर्पित करने से पापों का नाश होता है। वहीं धतूरा चढ़ाने से भय, नकारात्मक शक्तियों और शत्रुओं से रक्षा होती है।
पुराणों के अनुसार, लक्ष्मी प्राप्ति और आर्थिक संकटों से मुक्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करना शुभ माना गया है। इत्र या सुगंधित द्रव्य अर्पित करने से मन और विचारों में पवित्रता आती है।
शक्कर दूध, दही, घी और शहद से बना पंचामृत शिव अभिषेक में विशेष महत्व रखता है-
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